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संत रैदास (संत रविदास), प्राणनाथजी, संतदास जी
संत रैदास (संत रविदास)
- रामानन्द के शिष्य रैदास चमार जाति के थे। मीरा बाई भी इनसे प्रभावित थीं।
- इसके प्रमाण स्वरूप चित्तौड़गढ़ दुर्ग के कुंभश्याम इस समय मन्दिर परिसर में इनकी छतरी स्थित है।
- इन्होंने ईश्वर के निर्गुणजाम्भोजी, निराकार रूप का बखान किया।
- इनके उपदेश रैदास की परची कहलाते हैं।
प्राणनाथजी
- महात्मा प्राणनाथ का जन्म गुजरात के जामनगर में हुआ था। इन्होने गुरु निजानंद से दीक्षा लेकर विभिन्न सम्प्रदायों के उत्कृष्ट मूल्या एव उपदेशो का समन्वय करके परनामी सम्प्रदाय का प्रारम्भ किया।
- परनामी लोग कृष्ण के निर्गुण स्वरूप की पूजा करते हैं।
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पन्ना (मध्यप्रदेश) |
- प्राणनाथ जी के उपदेश कुजलम स्वरूप' नामक ग्रंथ में संग्रहित है,
- जिसकी पूजा इनके अनुयायियों द्वारा की जाती है।
- परनामी सम्प्रदाय की प्रधान गद्दी पन्ना (मध्यप्रदेश) में स्थित है।
- जयपुर में परनामियों का परम्परा का एक विशाल मन्दिर राजापार्क में स्थित है।
संतदास जी
- महात्मा संतदास जी द्वारा प्रवर्तित निर्गुण भक्तियुक्त सम्प्रदाय “गूदड़ सम्प्रदाय” कहलाया, क्योंकि संतदास जी गूदड़ी से बने वस्त्र पहनते थे।
- इस सम्प्रदाय की प्रधान गद्दी दांतला (भीलवाड़ा) में है।
Sant Raidas (Sant Ravidas)
- Ramanand's disciple Raidas belonged to Chamar caste. Meera Bai was also influenced by them.
- As a proof of this, Kumbhshyam of Chittorgarh fort is presently situated in the temple premises.
- He described the Nirgunjambhoji, formless form of God.
- His teachings are called Raidas ki Parchi.
Prannathji
- Mahatma Prannath was born in Jamnagar, Gujarat. After taking initiation from Guru Nijanand, he started the Paranami Sampradaya by coordinating the excellent values and teachings of various sects.
- The Paranami people worship the Nirguna form of Krishna.
- The teachings of Prannath ji are stored in a book called 'Kujalam Swaroop'
- Which is worshiped by his followers.
- The head seat of the Parnami sect is located in Panna (Madhya Pradesh).
- A huge temple of Paranami tradition in Jaipur is situated in Rajapark.
santdas ji
- The Nirguna Bhakti sect promoted by Mahatma Santdas ji was called "Gudad Sampradaya" because Santdas ji used to wear clothes made of Guddi.
- The head seat of this sect is in Dantala (Bhilwara).