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Ajmer district

क्षेत्रफल :- 8,481 वर्ग किमी
प्राचीन नाम :- अजमेर - मेरवाड़ा 
भौगोलिक नाम :- राजस्थान का ह्रदय , भारत का मक्का , विभिन्न संस्कृत्यो की भूमि , राजस्थान  जिब्रालटर 
स्थलाकृति-
अजमेर अरावली पर्वतों की उपत्यका में स्थित है। यहाँ नाग पहाड़ प्रसिद्ध है जिससे लूनी नदी का उद्गम हआ है। पूर्वी भाग बनास द्वारा बनाये गये मैदानी भाग से बना है। यहाँ की तारागढ़ की चोटी सबसे ऊँची चोटी है जो 870 मीटर ऊँची है।
 नदियाँ-
लूनी (लूनी नदी का उद्गम अजमेर के निकट नाग पहाड़ी से हुआ है। यह नदी दक्षिण-पश्चिम में बहते हुए कच्छ के रण में विलीन हो जाती है। इसे आधी मीठी और आधी खारी नदी भी कहते हैं), बनास, खारी, रूपमती, सागरमती।
 जलाशय/झीलें-पुष्कर, आनासागर, फाई सागर, फूलसागर, नारायण सागर, कालिंजर, मकरेडा। जलवायु-यहाँ की जलवायु स्वास्थ्यवर्द्धक है। सामान्य वार्षिक वर्षा 48.5 सेमी होती है। न्यूनतम तापमान 3° तथा अधिकतम 45° सेंटीग्रेड रहता है।
 मिट्टी-
पश्चिमी भाग में भूरी रेतीली मिट्टी तथा पूर्वी भाग में काँप मिट्टी मिलती है।
 वनस्पति-
अजमेर जिले में 611.71 वर्ग किमी. क्षेत्र वन पाये जाते हैं जो जिले के भौगोलिक क्षेत्र का केवल 7.21 प्रतिशत है। यहाँ धोंक, धावड़ा, सालर, गुरजन आदि के वृक्ष मिलते हैं। 
वन्य जीव-
रावली टाटगढ़ अभयारण्य (1983) वर्ष 2011 में राज्य सरकार ने कुम्भलगढ़-रावली टॉडगढ़ अभयारण्य को राष्ट्रीय उद्यान बनाने की घोषणा की है। इसका नाम अरावली राष्ट्रीय उद्यान रखा जायेगा।
मृगवन-  पुष्कर मृगवन (1985)
 शिकार निषिद्ध क्षेत्र-
साँखलिया (गोडावन के लिये प्रसिद्ध), गंगवाना, सिलोरा।
 पशुपालन और डेयरी ;- 
  • गाय की गीर नस्ल के लिये प्रसिद्ध है। इसे अजमेरी या रैण्डा भी कहते हैं।
  • पुष्कर पशु मेला गीर नस्ल के लिये प्रसिद्ध है और यह राज्य का सबसे बड़ा पशु मेला है।
  • यह मेला कार्तिक मास में भरता है।
  • रामसर में बकरी प्रजनन एवं चारा अनुसंधान केन्द्र स्थित है। यहाँ गीर गाय व मुर्रा नस्ल की भैंस प्रजनन का केन्द्र भी है।
  • अजमेर में राजकीय मुर्गी पालन प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित है।
  • अजमेर में डेयरी संयंत्र और ब्यावर तथा विजयनगर में अवशीतन केन्द्र स्थित है।
  • ब्यावर के समीप नरबड़ खेड़ा में रीको द्वारा वूलन कॉम्पलैक्स की स्थापना प्रस्तावित।
 पेयजल परियोजनाएँ/बाँध-  बीसलपुर बाँध (टोंक) से अजमेर को पेयजल आपूर्ति की जाती है।
कृषि/फसलें-
ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन अजमेर में होता है। अजमेर में पान की खेती भी होती है। 
खनिज-
ऐस्बेस्टास, बेरिल, पन्ना, फेल्सपार, तामड़ा (सरवाड़ा), अभ्रक, वर्मीक्यूलाइट, कैल्साइट, कायनाइट, लाइमस्टोन (ब्यावर), सोपस्टोन, यूरेनियम (किशनगढ़) मैग्नेसाइट, संगमरमर (किशनगढ़) आदि। अजमेर में फेल्सपार का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इसके उत्पादन के लिए मकरेरा स्थान विख्यात है। 
अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA)- 14 अगस्त, 2013 राज्य के तीसरे नगर विकास प्राधिकरण अजमेर की स्थापना की गई।

 ऊर्जा 
  •  देश की पहली व विश्व की सबसे बड़ी गैस पाइप लाइन 'जामनगर-लोनी गैस पाइप' के लिए बूस्टर नसीराबाद के निकट गोदरी गाँव में लगाया गया है। 
  • अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड-राज्य के 10 जिलों यथा-झुंझुनूं, सीकर, नागौर, अजमेर, भीलवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर एवं बाँसवाड़ा में विद्युत वितरण का कार्य करती है।
  • जेठाना-  यहाँ एशियाई विकास बैंक की सहायता से 600 मेगावाट का पॉवर ग्रिड स्टेशन स्थापित किया गया है।
उद्योग

  1. हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (केन्द्र सरकार का उपक्रम) :- इसकी स्थापना चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से 1967 में चाचियावास में की गई है। यह देश की छठी इकाई है।
  2. सूती वस्त्र उद्योग (ब्यावर)-  द कृष्णा मिल्स लि. (1889), एडवर्ड मिल्स लि. (1906), श्री महालक्ष्मी मिल्स लि. (1925)।
  3. संगमरमर उद्योग (किशनगढ़)।
  4. औद्योगिक बस्तियाँ-  एचएमटी औद्योगिक क्षेत्र, पर्वतपुरा-माखुपुरा औद्योगिक क्षेत्र। श्रीसीमेंट (ज्यावर), राजश्री सीमेन्ट (ब्यावर)।
 हस्तशिल्प-  बणी-ठणी पेंटिंग (किशनगढ़), काष्ठ शिल्प (तिलोनिया), संगमरमर का सामान (किशनगढ़)। 
परिवहन-
राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 8, 14, 79, 79A और 89 अजमेर जिले से होकर गुजरते हैं। 132 किमी. दूर स्थित जयपुर निकटम हवाई अड्डा है। दिल्ली अहमदाबाद रेलवे राजमार्ग अजमेर जिले से होकर गुजरते है।

 दर्शनीय स्थल

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह :- 
ख्वाजा साहब अथवा ख्वाजा शरीफ अजमेर आने वाले सभी धर्मावलम्बियों केलिए एक पवित्र स्थल है। इसे मुस्लिम धर्मावलम्बियों के प्रमुख तीर्थ मक्का के बाद दूसरा प्रमुख तीर्थ माना जाता है, इसीलिए इसे भारत का मक्का कहा जाता है। दरगाह के निर्माण का प्रारम्भ सुल्तान इल्तुतमिश (1211-36 ई.) के शासनकाल में प्रारम्भ हुआ। ख्वाजा साहब की पुण्य तिथि पर प्रतिवर्ष पहली रज्जब से छठी रज्जब तक यहाँ उर्स का आयोजन किया जाता है।

 
तारागढ़ दुर्ग-

taragarh fort ajmer

  • डॉ. दशरथ शर्मा के अनुसार 12वीं शताब्दी के आरम्भ में अजयराज चौहान ने इस दुर्ग का निर्माण करवाया, जो अजयमेरू दुर्ग अथवा गढ़ बीठली के नाम से जाना जाता था। कालान्तर में रायमल सिसोदिया के पुत्र पृथ्वीराज ने अपनी पत्नी तारादेवी के नाम पर इस दर्ग का नाम तारागढ़ कर दिया। यह दुर्ग अढाई दिन के झोंपडे के पीछे स्थित पहाड़ी पर 700 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। इसे 'राजस्थान का जिब्राल्टर' भी कहा जाता है।
  • इसका विस्तार दो मील के घेरे में है। 17वीं शताब्दी में शाहजहाँ के एक सेनापति गौड़ राजपूत बीठलदास द्वारा इस किले की मरम्मत कराई गई थी। किले के अन्दर पानी के पाँच कण्ड तथा बाहर की ओर झालरा है। गढ में सबसे ऊँचे स्थान पर निर्मित मीर साहब की दरगाह दर्शनीय है। यह दरगाह तारागढ़ के प्रथम गवर्नर मीर सैय्यद हुसैन खिंगसवार की है।
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा-
adhai din ka jhopda ajmer

हिन्दू-मुस्लिम शैली की यह इमारत तारागढ़ की तलहटी में दरगाह से कुछ ही दूरी पर स्थित है। प्रारम्भ में यह इमारत एक संस्कृत विद्यालय (1153 ई.) थी, जिसका निर्माण अजमेर के चौहानवंशी शासक विग्रहराज चतुर्थ ने करवाया। कालान्तर में इसे ध्वस्त करवाकर कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक मस्जिद के रूप में परिवर्तित कर दिया। इसका निर्माण अढ़ाई दिन में हुआ। यहाँ मुस्लिम फकीर पंजाबशाह का अढ़ाई दिन का उर्स भरता है, इसलिए इसे अढ़ाई दिन के झोंपड़े के नाम से जाना जाता है। कर्नल जेम्स टॉड ने हिन्दू वास्तुकला का श्रेष्ठतम नमूना कहा है।

अकबर का किला-
akbar ka kila ajmer

मुगल सम्राट अकबर ने 1570 ई. में इस किले का निर्माण करवाया। इसी किले में हल्दीघाटी के युद्ध को अन्तिम रूप दिया गया था एवं इसी किले में 1615 ई. में टॉमस रॉ ने जहाँगीर से भेंट की थी। 1818 ई. में अंग्रेजों ने इस किले पर अधिकार स्थापित कर इसे शस्त्रागार बनाया, इसी कारण इसे मेग्जीन के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 4 बड़े बुर्ज हैं जिनकी जोड़ने वाली दीवारों में कमरे हैं। इसका सबसे सुन्दर भाग 84 फुट ऊँचा तथा 43 फुट चौड़ा दरवाजा है। वर्तमान में इसमें ब्रिटिशकालीन राजपूताना संग्रहालय है जिसकी स्थापना 19 अक्टूबर, 1908 को की गई थी। इसका उद्घाटन तत्कालीन पॉलिटिक्ल एजेंट काल्विन ने किया था।

 आनासागर-
पृथ्वीराज तृतीय के पितामह अर्णोराज (आनाजी) ने 12वीं शताब्दी में इस कृत्रिम झील का निर्माण करवाया। जहाँगीर ने इसके किनारे एक बाग बनवाया जो दौलत बाग (सुभाष उद्यान) के नाम से जाना जाता है एवं शाहजहाँ ने 1637 ई.में इसकी पाल पर पाँच बारहदरियाँ बनवाई 

 फॉयसागर-
शहर से सात किमी.दूर इस झील का निर्माण अकाल राहत कार्यों के दौरान 1891-92 में अजमेर नगर परिषद् के द्वारा करवाया गया। इसका निर्माण कार्य अधिशाषी अभियंता फॉय के निर्देशन में हुआ।

मेयो कॉलेज-
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इस कॉलेज की स्थापना राज राजकुमारों को उच्च शिक्षा देने हेतु वायसराय कार्यकाल में की गई। इसकी स्थापना 1875 में की गई।

सीजीकी नसिया-
यह जैन तीर्थंकर ऋषभदेव का मंदिर जिसका निर्माण मूलचन्द सोनी एवं टीकमचन्द सोनी के द्वारा 1865 ई. के आसपास करवाया गया। 

जबली क्लॉक टावर-
jbli clock tower ajmer

अजमेर रेलवे स्टेशन के सामने स्थित इस इमारत का निर्माण महारानी विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में 1988 में करवाया गया। 

अब्दल्ला खाँ का मकबरा-
इसका निर्माण 1710 ई. में फर्रुखसियर के समय हुसैन अली खाँ के पिता अब्दुल्ला खाँ की स्मृति में करवाया गया। यह अजमेर रेलवे स्टेशन के निकट स्थित है। 

तीर्थराज पुष्कर-

हिन्दू धर्म की मान्यतानुसार चारों धामों की तीर्थयात्रा तब तक अधूरी है, जब तक तीर्थराज पुष्कर में स्नान न कर लिया जाए। यहाँ करीब चार सौ से भी अधिक मंदिर हैं, इसलिए इसे देवताओं की नगरी' भी कहा जाता है। यह तीर्थ समुद्रतल से 530 मीटर की ऊँचाई पर, अजमेर से 11 किमी. दूर स्थित है। विश्वामित्र ने यहीं तपस्या की और भगवान राम ने मध्य पुष्कर के निकट गया कुण्ड पर अपने पिता दशरथ का पिण्ड तर्पण किया था।

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 पाण्डवों ने अपने निर्वासित काल का कुछ समय पुष्कर में भी बिताया था। यहाँ प्रतिवर्ष दो विशाल मेलों का आयोजन किया जाता है। पहला मेला कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक तथा दूसरा मेला बैसाख शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक भरता है। यहाँ पशु मेले का आयोजन किया जाता है। यह स्थल विदेशी सैलानियों का मुख्य केन्द्र है।

पुष्कर सरोवर-
  • अजमेर के नाग पर्वत एवं पुष्कर शहर के मध्य अर्द्धचन्द्राकार में पुष्कर सरोवर फैला हुआ है। इस सरोवर पर 52 घाट बने हुए हैं, जिनमें वराहघाट, ब्रह्मघाट और गौ घाट सर्वाधिक पवित्र माने गये हैं। 1809 ई. में मराठा सरदारों ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। इसी स्थान पर गुरु गोविन्द सिंह ने 1705 ई. में गुरुग्रन्थ साहब पाठ किया था। 1911 ई. में ब्रिटिश महारानी मेरी जब भारत आई तो उसने इस सरोवर के किनारे महिलाओं के लिए पृथक् से घाट का निर्माण करवाया।
  •  इसी स्थान पर महात्मा गाँधी की अस्थियाँ प्रवाहित की गई, तब से इसे  गाँधी घाट कहा जाने लगा। यहाँ के अन्य घाटों में इन्द्रघाट, महादेव घाट, विश्राम घाट, बद्रीघाट, गणगौर घाट, रामघाट, चीर घाट, जनक घाट, यज्ञ घाट, ब्राह्मण घाट, परशुराम घाट तथा सप्तऋषि घाट प्रमुख हैं।
ब्रह्माजी का मंदिर-
भारत में ब्रह्मा जी का एकमात्र महत्त्वपूर्ण मंदिर पुष्कर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ ब्रह्मा जी की प्रतिमा को शंकराचार्य ने स्थापित किया था। मंदिर के भीतर चतुर्मुखी ब्रह्माजी की मूर्ति हैं तथा निकट ही उनकी द्वितीय पत्नी गायत्री की भी सुन्दर प्रतिमा विद्यमान है। ब्रह्मा मंदिर परिसर में ही पातालेश्वर महादेव, पंचमुखी महादेव, नर्बदेश्वर महादेव, लक्ष्मीनारायण, गौरीशंकर, सूर्यनारायण, नारद्, दत्तात्रेय, सप्तऋषि एवं नवग्रह के छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं।

 सावित्री मंदिर-
ब्रह्मा मंदिर के पृष्ठ भाग में रत्नागिरी पर्वत पर ब्रह्म जी की प्रथम पत्नी सावित्री का मंदिर है। इस मंदिर में जहाँ पार्वती के दो चरण चिह्न प्रतिष्ठित हैं, वहीं मंदिर में उनकी पुत्री सरस्वती जी की प्रतिमा भी सुशोभित है। . 

रंगनाथ जी का मंदिर-
यह मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय की रामानुज शाखा का है। यह मंदिर भगवान विष्णु, लक्ष्मी तथा नृसिंह की मूर्तियों से सुशोभित है। इस मंदिर में श्यामवर्ण रंगनाथ जी की प्रतिमा स्थापित है।

वराह मंदिर-
इस मंदिर का निर्माण अर्णोराज के द्वारा किया गया। मेवाड़ नरेश मोकल ने इसी मंदिर में सोने का तुलादान भी करवाया था। इस मंदिर का जीर्णोद्धार महाराणा प्रताप के भाई सागर ने करवाया। मुगल सम्राट औरंगजेब के समय इसे ध्वस्त कर दिया गया तो इसका पुनः निर्माण सवाई जयसिंह के द्वारा करवाया गया।

रमा बैकुण्ठ मंदिर-
यह मंदिर पुष्कर का सबसे विशाल मंदिर है। यह मंदिर रामानुजाचार्य शाखा का प्रधान मंदिर है। पत्थर से बने विमान पर 361 देवी-देवताओं की मूर्तियाँ विराजमान हैं। मंदिर के प्रथम भाग में स्वर्ण गरुड़ की प्रतिमा है। इस मंदिर का निर्माण डीडवाना (नागौर) के श्रेष्ठि मगनीराम बांगड़ के द्वारा करवाया गया। 

मान महल-
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यह महल पुष्कर सरोवर के किनारे स्थित है, जिसका निर्माण आमेर नरेश मानसिंह (प्रथम) के द्वारा करवाया गया था। वर्तमान में इसे राजस्थान पर्यटन विकास निगम के होटल सरोवर में परिवर्तित कर दिया गया है।

 पुष्कर मेला-
यह मेला कार्तिक शुक्ला एकादशी से पूर्णिमा तक आयोजित किया जाता है।

खुण्डियास धाम-
अजमेर-नागौर सीमा पर स्थित द्वितीय रामदेवरा के नाम से प्रसिद्ध बाबा रामदेव का स्थल। इसे मिनी रामदेवरा भी कहते हैं।

 अन्य स्मरणीय तथ्य

  1. 28 मई, 2013 को अजमेर को देश का पहला स्लम फ्री (झुग्गी-झोपड़ी मुक्त) शहर घोषित किया गया है। 
  2. तिलोनिया में प्रसिद्ध समाजसेवी दम्पत्ति अरुणाराय एवं बंकर राय ने ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने एवं सामाजिक स्तर सुधारने में उल्लेखनीय योगदान के लिए बेयरफुट कॉलेज की स्थापना की है। इस कॉलेज को उल्लेखनीय योगदान के लिए दस लाख डॉलर का एलकान पुरस्कार दिया गया है। यह स्मरण रहे कि अरुणाराय को सूचना के अधिकार के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। अजमेर जिले का यह गाँव पेचवर्क के लिए चर्चित है। पेचवर्क में विविध रंग के कपड़ों को विविध डिजाइनों में काटकर कपड़े पर सिलाई की जाती है। 
  3. अजमेर शहर के निकट स्थित छोटा सा रेलवे स्टेशन दौराई उत्तर-पश्चिम रेलवे का प्रसिद्ध सूखा बन्दरगाह बन गया है।
  4.  ' कानपुरा के ग्रामीणों से अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने भारत प्रवास (6-9 नवम्बर,2010) के दौरान मुम्बई से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की, जो सेंट-जेवियर कॉलेज, मुम्बई से की थी। यहाँ ई-गर्वनेंस योजना मूर्त रूप में विद्यमान है। कानपुरा अजमेर में पीसांगन पंचायत समिति के निकट है।
  5. किशनगढ़ के गूंदोलाव तालाब के निकट स्थित केहरीगढ़ किले को अब हैरिटेज होटल बनाया गया है। इस किले के आन्तरिक भाग को जीवरक्खा कहते हैं। 
  6. एम.डी.एस. यूनिवर्सिटी, अजमेर में 'नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम' प्रस्तावित। 
  7. अजमेर ई जिला घोषित-केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने अजमेर जिले को ई-जिला घोषित किया। इस जिले के लिए केन्द्र सरकार राज्य सरकार को 6.42 करोड़ रुपए उपलब्ध कराएगी। केन्द्र सरकार की ई जिला परियोजना का उद्देश्य स्थानीय प्रशासन को सहयोग करना है।
  8.  किशनगढ़ में केन्द्रीय विश्वविद्यालय-अजमेर जिले में किशनगढ़ के पास बांदरसिंदरी में केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थित है। 
  9. मेयो कॉलेज (1875) 
  10. महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय-1987 
  11. अजमेर में अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय खोला जाना प्रस्तावित है।

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सिरोही जिला {देवो की नगरी }

परिचय

  • सिरोही राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक पर्वतीय प्रदेश है। कर्नल टॉड के अनुसार इसका मूल नाम शिवपुरी था। राजस्थान का एकमात्र पर्वतीय स्थल माउंटआबू इसी जिले में स्थित है। यह प्रदेश, मौर्य, क्षत्रक, हूण, परमार, राठौड़, चौहान एवं गुहिल शासकों के अधीन रहा है। यह गुर्जर क्षेत्र का एक भाग था।
  • 1405 ईस्वी में राजा शिवभान ने एक  स्थापना की जिसे शिवपुरी के नाम से जानते है उसके पुत्र सहसमल ने शिवपुरी से 2 मील आगे 1425 ई. में एक नया नगर बसाया जिसे वर्तमान में सिरोही के नाम से जाना जाता है। अरावली पर्वत श्रृंखला के दक्षिण-पश्चिम का हिस्सा सिरोही जिले का भाग है।
  • यहाँ पाषाणकालीन औजार खोजे गए हैं, ये औजार चन्द्रावती नदी के किनारे पाए गए हैं । चन्द्रावती पूर्व मध्यकाल में आबू शाखा के परमारों की राजधानी थी। कर्नल टॉड ने लिखा है कि यहाँ 999 मंदिर थे। इसकी चर्चा करते हुए गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ने मंदिरों की बहुतायत के कारण इसकी महिमा का गुणगान किया है।
  • सिरोही व आबू क्षेत्र में गरासिया आदिवासियों द्वारा बिना किसी वाद्य यंत्र के वालर नृत्य किया जाता है।

 भौगोलिक परिदृश्य 

  •  भौगोलिक स्थिति- राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम में गुजरात से सटा हुआ सीमावर्ती जिला। अरावली श्रृंखलाओं में स्थित इस जिले में अरावली के सर्वोच्च शिखर पाए जाते हैं। राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी  गुरुशिखर {माउंट आबू} इसी जिले में स्थित है।
  • अक्षांशीय स्थिति-      24°25 से 25°17' उत्तरी अक्षांश।
  • देशान्तरीय स्थिति-    72°16' से 73°10' पूर्वी देशान्तर।
  • क्षेत्रफल-   5136 वर्ग किमी.।
  • तहसील-   पिंडवाड़ा, आबू रोड, रियोदर, सिरोही, शिवगंज।
  • लोकसभा क्षेत्र-  जालौर ।
  • विधानसभा क्षेत्र-  सिरोही, पिंडवाड़ा-आबू, रियोदर।
  • प्राचीन नाम-  शिवपुरी और अबुर्द्धाचल प्रदेश।
  • भौगोलिक उपनाम-  राजस्थान का शिमला (माउंटआबू), देवों की नगरी।
  • पड़ोसी राज्य- गुजरात।
  • पड़ोसी जिले-  पाली, उदयपुर, जालौर।
  • प्रमुख स्थान- सिरोही, आबूरोड, पिण्डवाड़ा, शिवगंज, रेवदर। 
  • स्थलाकृति- अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के दक्षिण पश्चिमी भाग में सिरोही स्थित हैं। राजस्थान में अरावली पर्वतों की सर्वाधिक ऊँचाईयाँ सिरोही जिले में मिलती हैं। यहाँ का आबू पर्वत राजस्थान का एकमात्र पर्वतीय स्थल है। गुरु शिखर (माउंट आबू) यहाँ का सर्वोच्च शिखर है। जिसकी ऊँचाई 1722 मीटर हैं। कर्नल जेम्स टॉड ने इसे देवों का शिखर कहा है। यह हिमालय और नीलगिरी के बीच स्थित भारत की सबसे ऊँची चोटी है।
  • सिरोही में स्थित सेर (1597 मीटर) राजस्थान की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है। यहाँ का अधिकांश भाग रेगिस्तानी है।
  • नदियाँ-  पश्चिमी बनास।
  • जलाशय/झीलें-  नक्ली झील (राजस्थान की सबसे ऊँची झील), चंदेला जुबली तालाब, आखैलाव, जावाल।
  • जलवायु-   सिरोही जिले की जलवायु स्वास्थ्यवर्द्धक है।

राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा का स्थान माउंट आबू है, जहाँ 150 सेमी. वर्षा होती है इसीलिए इसे राजस्थान का चेरापूँजी भी कहा जाता है। आबू में ऊँचाई के कारण उष्ण कटिबंधीय जलवायु भी मिलती है। 
सर्दियों में यहाँ का तापमान 0°C तक पहुँच जाता है।

  • मिट्टी-  लाल-पीली मिट्टी।
  • वनस्पति-  विलायती बबूल, सालर, धोकड़ा, सिरस, तेन्दू, खैर, कमूठा, बहेड़ा, बाँस। आबू पर्वत के ऊँचे भागों में उपोष्ण कटिबंधीय वनस्पति पाई जाती है। यहाँ 31 प्रतिशत भाग पर वन पाए जाते हैं। 
  • वन्य जीव-  आबू पर्वत अभयारण्य यहाँ स्थित है। इसमें मुख्यत: पेंथर, भालू, जंगली सूअर, लंगूर, भेड़ियाँ, लोमड़ी, जरख, सियार, खरगोश, जंगली मुर्गा, जुगली बिल्ली, बिजू, बुलबुल, तीतर, बटेर आदि वन्यजीव मिलते हैं।
  • पशुपालन और डेयरी-  कांकरेज नस्ल की गाय सिरोही में मिलती है।
  • जल परियोजनायें-
  1. पश्चिमी बनास परियोजना,
  2. कादम्बरी परियोजना
  3. बींठा परियोजना।
  • कृषि/फसलें-  गेहूँ, जौ, चना, ईसबगोल, सरसों, मक्का, बाजरा, ग्वार, दालें, कपास, मूंगफली। चीकू उत्पादन में अग्रणी।
  • खनिज-  केल्साइट, वोल्स्टोनाइट, चूना पत्थर, संगमरमर (आबू रोड), ग्रेनाइट, टंगस्टन (बालदा क्षेत्र)। राज्य में वोल्स्टोनाइट का सर्वाधिक उत्पादन सिरोही के वेल्का और खिरला क्षेत्रों में होता है। 
  • उद्योग-  पर्यटन उद्योग। 
  • हस्तशिल्प-  तलवारें, कटारें, चाकू, छुरै, भाले, मोटे कपड़े की बुनाई और रंगाई-छपाई, संगमरमर का सामान। परिवहन-  राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 14 और 76 सिरोही जिले से होकर गुजरते हैं। 76 नम्बर का राजमार्ग पिंडवाडा से शिवपुरी तक जाता है।

 दर्शनीय स्थल 

 माउंट आबू-


mount aabu sirohi rajasthan

यह राजस्थान का एकमात्र पर्वतीय पर्यटक स्थल है, इसे सैलानियों का स्वर्ग भी कहा जाता है। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने माउंट आबू को इको सेंसटिव जोन घोषित किया है। यहाँ के प्रमुख आकर्षण निम्नलिखित हैं

नक्की झील-
nakki jheel sirohi rajasthan

यह राजस्थान की सबसे ऊँची झील है जो सर्दियों में जम जाती है। एक किंवदंती के अनुसार इसका निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से खोद कर किया था।

सनसेट पॉइन्ट-
sunset point sirohi rajasthan

यह स्थान सूर्यास्त के दृश्य को देखने के लिए प्रसिद्ध है, जो माउंटआबू में है।

टॉड रॉक और नन रॉक-
tod rock & non rock sirohi rajsthan

माउंट आबू में नक्की झील के पश्चिम में टॉड रॉक व नन रॉक नाम की दो चट्टानें स्थित है। टॉड रॉक मेढ़क से मिलती-जुलती आकृति है, जबकि नन रॉक घूँघट निकाले हुए स्त्री के समान लगती हैं 

अबुर्दा देवी का मंदिर-
यह मंदिर माउंट आबू में ऊँची पहाड़ी पर गुफा के मध्य स्थित है। इसे राजस्थान की वैष्णों देवी माना जाता है। 

देलवाड़ा के मंदिर-
delvara jain temple mount aabu sirohi rajasthan

नक्ली झील से 2 किमी. दूर स्थित यह जैन मंदिर अपनी शिल्प कला के लिए विख्यात है, इनमें विमलशाह तथा वास्तुपाल के मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। विमलशाह का मंदिर (1032) प्रथम जैन तीर्थंकर को समर्पित है। इसे विमलसही मंदिर भी कहते हैं। दूसरा मंदिर 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ को समर्पित है। इसका निर्माण 1231 में वास्तुपाल एवं तेजपाल ने करवाया था। इसे लूणसही भी कहते हैं।

अचलगढ़-
देलवाड़ा मंदिर से 5 किमी. उत्तर-पूर्व में अचलगढ़ का किला स्थित है, जिसका निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया। यहीं अचलेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर है।

 गुरुशिखर-
gurushikar sirohi rajasthan

अरावली पर्वत की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर माउंटआबू में स्थित है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 1722 मीटर है। यह हिमालय व नीलगिरी पर्वतों के बीच भारत की सबसे ऊँची चोटी है। गुरु शिखर को कर्नट टॉड ने 'सन्तों का शिखर' (God Olympiad) कहा है।

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Sirohi District {City of Gods}

introduction

Sirohi is a mountainous state located in the south-west of Rajasthan. According to Colonel Tod, its original name was Shivpuri. Mount Abu, the only hill station of Rajasthan, is located in this district. This region has been under Maurya, Kshatrak, Hun, Parmar, Rathor, Chauhan and Guhil rulers. It was a part of the Gurjar region.
In 1405 AD, King Shivbhan established an establishment which is known as Shivpuri, his son Sahasmal, 2 miles ahead of Shivpuri, established a new city in 1425 AD, which is currently known as Sirohi. The south-west part of the Aravalli mountain range is part of Sirohi district.
Stone tools have been discovered here, these tools have been found on the banks of river Chandravati. Chandravati was the capital of the Paramaras of the Abu branch in the early medieval period. Colonel Tod has written that there were 999 temples here. Talking about it, Gaurishankar Hirachand Ojha has praised its glory due to the abundance of temples.
In Sirohi and Abu region, the Valar dance is performed by the Garasiya tribesmen without any musical instruments.

 geographical landscape

 Geographical Location- Border district adjoining Gujarat in the south-west of Rajasthan. Situated in the Aravalli ranges, the highest peaks of the Aravallis are found in this district. Mount Abu, the highest peak of Rajasthan, is located in this district.
Latitude - 24°25 to 25°17' north latitude.
Longitudinal position- 72°16' to 73°10' East longitude.
Area - 5136 sq. km.
Tehsil- Pindwara, Abu Road, Ryodar, Sirohi, Shivganj.
Lok Sabha constituency- Jalore.
Assembly constituencies- Sirohi, Pindwara-Abu, Ryodar.
Ancient names- Shivpuri and Aburdhachal Pradesh.
Geographical surname- Shimla (Mount Abu) of Rajasthan, the city of gods.
Neighboring state- Gujarat.
Neighboring districts- Pali, Udaipur, Jalore.
Major places- Sirohi, Abu Road, Pindwara, Shivganj, Revdar.
Topography- Sirohi is situated in the south western part of the Aravalli mountain ranges. In Rajasthan, the highest heights of the Aravalli mountains are found in Sirohi district. The Abu mountain here is the only hill station in Rajasthan. Guru Shikhar (Mount Abu) is the highest peak here. Whose height is 1722 meters. Colonel James Todd called it the pinnacle of the gods. It is the highest peak in India situated between the Himalayas and the Nilgiris.
Ser (1597 m) located in Sirohi is the second highest peak of Rajasthan. Most of the area here is desert.
Rivers- Western Banas.
Reservoir/lakes- Nakli Lake (highest lake in Rajasthan), Chandela Jubilee Pond, Akhilao, Jawal.
Climate- Sirohi district has a healthy climate.

The place of highest rainfall in Rajasthan is Mount Abu, where 150 cm. It rains, hence it is also called Cherrapunji of Rajasthan. Due to the altitude in Abu, a tropical climate is also found.
The temperature here reaches 0°C in winter.

Soil- Reddish-yellow soil.
Vegetation- Solanaceous Acacia, Salar, Dhokra, Sirus, Tendu, Khair, Kamutha, Bahera, Bamboo. Sub-tropical vegetation is found in the higher parts of Mount Abu. Forests are found here on 31 percent of the area.
Wildlife – The Abu Parvat Sanctuary is located here. Wildlife mainly found in this is Panther, Bear, Wild Boar, Langur, Wolves, Fox, Jark, Jackal, Rabbit, Wild Rooster, Jugli Cat, Biju, Bulbul, Pheasant, Quail etc.
Animal Husbandry and Dairying – Kankrej breed cow is found in Sirohi.

Water Projects-

  1. Western Banas Project,
  2. Kadambari Project
  3. Bentha Project.
Agriculture/Crops- Wheat, Barley, Gram, Isabgol, Mustard, Maize, Bajra, Guar, Pulses, Cotton, Groundnut. A leader in Chickpea production.
Minerals- Calcite, Wolstonite, Limestone, Marble (Abu Road), Granite, Tungsten (Balda area). The maximum production of wolstonite in the state is in the Velka and Khirla regions of Sirohi.
Industry- tourism industry.
Handicrafts - swords, daggers, knives, knives, spears, weaving and dyeing of coarse cloth, marble goods. Transport- National Highways 14 and 76 pass through Sirohi district. The highway number 76 goes from Pindwara to Shivpuri.

 Scenic Spots

 Mount Abu-
It is the only hill station in Rajasthan, it is also called the paradise of tourists. The Union Ministry of Forest and Environment has declared Mount Abu as Eco-sensitive Zone. Following are the major attractions here

Nakki Lake-
It is the highest lake in Rajasthan which freezes in winter. According to a legend, it was built by the gods by digging them with their nails.

sunset point-
This place is famous for the sunset view which is in Mount Abu.

Toad Rock and Nun Rock-
Two rocks named Toad Rock and Nun Rock are situated to the west of Nakki Lake in Mount Abu. Toad Rock resembles a frog, while Nun Rock resembles a woman with a veil removed

Aburda Devi Temple-
This temple is situated in the middle of a cave on a high hill in Mount Abu. It is considered to be the Vaishno Devi of Rajasthan.

Temples of Delwara-
2 KM from Nakli Lake. This Jain temple located far away is famous for its craftsmanship, among which the temples of Vimalshah and Vastupal are particularly famous. The temple of Vimalshah (1032) is dedicated to the first Jain Tirthankara. It is also called Vimalsahi Temple. The second temple is dedicated to the 22nd Tirthankara Neminath. It was built in 1231 by Vastupal and Tejpal. It is also called lunsahi.

Achalgarh-
5 KM from Delwara Temple. In the north-east lies the fort of Achalgarh, which was built by Maharana Kumbh.
I got it done. Here is the famous temple of Achaleshwar Mahadev.

  Gurushikhar-
Gurushikhar, the highest peak of the Aravalli Mountains is located in Mount Abu, whose height is 1722 meters above sea level. It is the highest peak in India between the Himalayas and the Nilgiri Mountains. Guru Shikhar has been called the 'Shikhar of the Saints' (God Olympiad) by Cornut Tod.

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bhilwara district rajasthan



भीलवाड़ा जिला {राजस्थान का मेनचेस्टर }

भौगोलिक परिदृश्य

भौगोलिक स्थिति- दक्षिणी राजस्थान में मध्यप्रदेश की सीमाओं से सटा हुआ जिला। यह जिला राजस्थान से सूती वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
अक्षांशीय स्थिति- 25°1' से 25°58' उत्तरी अक्षांश।
देशान्तरीय स्थिति- 74°1' से 75°28' पूर्वी देशान्तर।
क्षेत्रफल- 10,455 वर्ग किमी.।
जनसंख्या - 24,08,523 
लिंगानुपात- 973 
साक्षरता- 61.4% (राज्य में 26वाँ स्थान) 
तहसील- भीलवाड़ा, आसींद, मांडल, जहाजपुर, शाहपुरा, मांडलगढ़, कोटरी, हुरड़ा, सहरा, बनेड़ा, रायपुर, बिजौलिया। 
लोकसभा क्षेत्र- भीलवाड़ा। 
विधानसभा क्षेत्र- आसींद, मांडल, सेहरा, भीलवाड़ा, शाहपुरा, जहाजपुर, मांडलगढ़। 
तालाबों से सर्वाधिक सिंचाई भीलवाड़ा जिले में होती है। 
भौगोलिक उपनाम-  टैक्सटाइल्स सिटी, राजस्थान का मैनचेस्टर, वस्त्र नगरी, अभ्रक नगरी।
नदियाँ-  बनास, बेड़च, कोठारी, मानसी, खारी।

जलाशय/झीलें-
  कोठारी बाँध, नाहर सागर, खारी बाँध, सेरदी बाँध, मांडल ताल, जैतपुरा बाँध, अखड़ बाँध। जलवायु-   जिले की जलवायु सम एवं स्वास्थ्यवर्द्धक है। सामान्य वर्षा 60.35 सेमी. होती है।
मिट्टी-  यहाँ लाल-काली मिट्टी पाई जाती है। यह मिट्टी मक्का और कपास के लिए अच्छी मानी जाती है। • पशुपालन और डेयरी-  भीलवाडा में एक डेयरी संयंत्र कार्यरत है। पशुओं में यहाँ गाय, बैल, भेड़ व बकरियाँ पाई जाती हैं। 

जल परियोजनायें :- 

मेजा बाँध परियोजना-

यह बाँध भीलवाड़ा जिले में कोठारी नदी पर बनाया गया है। इससे भीलवाड़ा को पीने के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है।

खारी बाँध-

  • खारी नदी पर भीलवाड़ा में बनाया गया है।
  • कृषि/फसलें- गेहूँ, ज्वार, बाजरा, ग्वार, मक्का, गन्ना, आम, मूंगफली, अरण्डी। 

खनिज- 

  • लौह अयस्क, ताँबा, अभ्रक, घिया पत्थर, चाइना क्ले, ग्रेनाइट, संगमरमर, सीसा व जस्ता, बेरीलियम, फेल्सपार, क्वार्टज, सिलिका सेण्ड। यहाँ कीमती पत्थर तामड़ा भी प्राप्त होता है। 
  • सर्वाधिक अभ्रक उत्पादन के लिए भीलवाड़ा देश भर में प्रसिद्ध है
  • रामपुरा आंगूचा में बड़ी मात्रा में सीसा-जस्ता के भण्डार प्राप्त हुए हैं। 

उद्योग- 

  • भीलवाड़ा को राजस्थान की टैक्सटाइल्स सिटी कहा जाता है। इसे राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग की अधिकता के कारण राजस्थान का मैनचेस्टर भी कहते हैं। 
  • 1938 में यहाँ मेवाड़ टैक्सटाइल्स मिल्स की स्थापना की गई। गंगापुर और गुलाबपुरा में सहकारी सूती वस्त्र मिलें कार्यरत हैं।
  • राजस्थान में सबसे ज्यादा सूती वस्त्र उद्योग की इकाइयाँ भीलवाड़ा जिले में ही स्थित हैं।
  • अभ्रक की ईट बनाने का उद्योग भी यहाँ स्थित है।
  • भीलवाड़ा में माण्डलगढ औद्योगिक क्षेत्र और हम्मीरगढ औद्योगिक विकास केन्द्र स्थापित है।

हस्तशिल्प

फड पेंटिंग (शाहपुरा, भीलवाड़ा)-
कपड़े पर बनी लोक देवी-देवताओं की जीवन गाथा की पेंटिंग फड़ पेंटिंग कहलाती है। देवनारायण जी की फड़ सबसे लम्बी मानी जाती है। श्री लाल जोशी इसके प्रसिद्ध कलाकार हैं, जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। 

परिवहन-

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-76 (जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-27 में विलीन किया गया है) और 79 भीलवाड़ा जिले से होकर गुजरते हैं। 

दर्शनीय स्थल 

माण्डलगढ़-

भीलवाड़ा से 51 किमी. दूर त्रिभुजाकार पठार पर मांडलगढ़ में एक प्राचीन दुर्ग स्थित है। मुहम्मद गौरी ने इस दुर्ग को चौहानों से जीता। बाद में यहाँ हाड़ाओं ने भी राज किया। उनके मेवाड़ के सिसोदियों से युद्ध चलते रहे। मेवाड़ के क्षेत्रसिंह ने इसे 1389 में जीता किन्तु फिर कुछ समय के लिए किला हाड़ाओं के कब्जे में आ गया और फिर कुम्भाओं ने इसे जीत लिया। मुगल बादशाहों के लिए माण्डलगढ़ मेवाड़ का प्रवेश द्वार था। यहाँ के दर्शनीय स्थलों में शिव मन्दिर, ऋषभदेव जैन मंदिर आदि हैं। 

सवाई भोज का मंदिर-

भीलवाड़ा-ब्यावर सड़क मार्ग पर भीलवाड़ा से 50 किमी. दूर आसीन्द में सवाई भोज का प्राचीन मंदिर गुर्जर समाज का तीर्थस्थल है। यहाँ । प्रतिवर्ष भाद्र माह में पशु मेला लगता है।

मेनाल-
menal waterfoll bhilwara

माण्डलगढ़ से 20 किमी. दूर चित्तौड़ की सीमा पर यह पुरातात्विक एवं पर्यटक स्थल स्थित है। यहाँ 12वीं शताब्दी के चौहान काल में लाल पत्थरों से निर्मित महाकालेश्वर मंदिर, रूठी रानी का महल एवं हजारेश्वर मंदिर दर्शनीय है। 

जहाजपुर-

यह भीलवाड़ा का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल हैं। यहाँ गेबी पीर के नाम से प्रसिद्ध मजिस्द दर्शनीय है।

बिजौलिया-
bijoliya fort bhilwara

माण्डलगढ़ से 35 किमी. दूर बिजौलिया में प्रसिद्ध मंदाकिनी मंदिर स्थित है। राजस्थान का प्रथम किसान आन्दोलन यहीं शुरू हुआ। बिजौलिया जैन तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है। यहाँ का पार्श्वनाथ मंदिर अपनी प्राचीनता एवं 12वीं शताब्दी के विशाल शिलालेख के लिए प्रसिद्ध है।

शाहपुरा-

भीलवाड़ा से 50 किमी. दूर शाहपुरा रियासत काल में राजधानी था। यह स्थान रामस्नेही सम्प्रदाय के श्रद्धालुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। मुख्य मंदिर रामद्वारा के नाम से जाना जाता है। शाहपुरा में प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सैनानी ठाकुर केसरी सिंह बारहठ की हवेली विद्यमान है। शाहपुरा में फड़ की पेंटिंग भी बनाई जाती है। होली के दूसरे दिन शाहपुरा में प्रसिद्ध फूलडोल मेला भरता है।

अन्य स्मरणीय तथ्य 

  • इस क्षेत्र की वैदिक काल में होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों की जानकारी नान्दशा में पाए गए यूप स्तम्भ से होती है।  केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 20 अगस्त, 2011 को माण्डल कस्बे में पावरग्रिड की निष्पादित परियोजना का लोकार्पण किया। 
  • टैक्सटाइल मंत्रालय ने भीलवाड़ा में पावरलूम मेगा क्लस्टर स्थापित किया है। वर्तमान में जिले में देश के सूटिंग उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत होता है।
  • होली के तेरह दिन बाद होने वाला नाहर नृत्य माण्डल में होता है। यहाँ का स्वांग प्रसिद्ध है,  जो भील-मीणा करते है।
  • माणिक्यलाल वर्मा टैक्सटाइल इंस्टीट्यूट भीलवाड़ा में एक मुख्य शैक्षणिक संस्थान है।
  • शाहपुरा उत्तरदायी शासन स्थापित करने वाली प्रथम देशी रियासत थी। उस समय यहाँ का शासक सुदर्शनदेव था। 
  • प्रसिद्ध बहुरूपिया कलाकार जानकीलाल भांड आंगूचा का निवासी है।
  • राष्ट्रीय इस्पात निगम द्वारा भीलवाड़ा जिले में इस्पात संयंत्रों की स्थापना शीघ्र प्रस्तावित है। इससे राज्य में लगभग 4,000 करोड़ रुपए के निवेश की उम्मीद है।
  • भरतपुर के उपरान्त राज्य की दूसरी रेल कोच फैक्ट्री भीलवाड़ा में स्थापित की जाएगी। यह फैक्ट्री BHEL और रेलवे मिलकर लगाएंगे। भीलवाड़ा में 'मैमू' कोच फैक्ट्री भी स्थापित की गई हैं।

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Bhilwara District {Manchester of Rajasthan}

geographical landscape

Geographical Location-  District adjoining the borders of Madhya Pradesh in southern Rajasthan. This district is famous for cotton textile industry from Rajasthan.
Latitudinal position- 25°1' to 25°58' north latitude.
Longitudinal position- 74°1' to 75°28' East longitude.
Area - 10,455 sq. km.
Tehsil- Bhilwara, Asind, Mandal, Jahajpur, Shahpura, Mandalgarh, Kotri, Hurda, Sahra, Banera, Raipur, Bijolia.
Lok Sabha constituency- Bhilwara.
Assembly constituencies- Asind, Mandal, Sehra, Bhilwara, Shahpura, Jahazpur, Mandalgarh.
Most of the irrigation from ponds is done in Bhilwara district.
Geographical Nicknames- City of Textiles, Manchester of Rajasthan, City of Textiles, City of Mica.
Rivers- Banas, Bedach, Kothari, Mansi, Khari.
Reservoirs/Lakes- Kothari Dam, Nahar Sagar, Khari Dam, Serdi Dam, Mandal Tal, Jaitpura Dam, Akhar Dam. Climate- The climate of the district is even and healthy. Normal rainfall is 60.35 cm. it occurs.
Soil- Red-black soil is found here. This soil is considered good for maize and cotton. • Animal Husbandry and Dairying - A dairy plant is functioning in Bhilwara. Among the animals found here are cows, bulls, sheep and goats.

Water Projects :-

Meja Dam Project-

This dam has been built on the Kothari river in Bhilwara district. From this water is made available to Bhilwara for drinking.

Khari Dam-

Built in Bhilwara on Khari river.
Agriculture/Crops- Wheat, Jowar, Bajra, Guar, Maize, Sugarcane, Mango, Groundnut, Castor.

Mineral-

  • Iron ore, copper, mica, Ghia stone, china clay, granite, marble, lead and zinc, beryllium, feldspar, quartz, silica sand. The precious stone Tamra is also found here.
  • Bhilwara is famous throughout the country for the highest production of mica.
  • Large quantities of lead-zinc deposits have been found in Rampura Aangucha.

Industry-

  • Bhilwara is called the Textile City of Rajasthan. It is also called Manchester of Rajasthan due to the abundance of cotton textile industry in Rajasthan.
  • Mewar Textiles Mills was established here in 1938. Co-operative cotton textile mills are functioning in Gangapur and Gulabpura.
  • Most of the units of cotton textile industry in Rajasthan are located in Bhilwara district.
  • The mica briquette industry is also located here.
  • Mandalgarh Industrial Area and Hammirgarh Industrial Development Center are established in Bhilwara.

handicrafts

Phad Painting (Shahpura, Bhilwara)-
The painting of life story of folk deities made on cloth is called Phad painting. The phad of Devnarayan ji is considered to be the longest. Shri Lal Joshi is its famous artist, who has been awarded the Padma Shri.

transportation-

National Highway No.-76 (which has been merged with National Highway No. 27) and 79 pass through Bhilwara district.

Scenic Spots

mandalgarh-
51 KM from Bhilwara. An ancient fort is situated in Mandalgarh on the distant triangular plateau. Muhammad Ghori won this fort from the Chauhans. Later the Hadas also ruled here. His war with the Sisodis of Mewar continued. Kshetra Singh of Mewar won it in 1389, but then for some time the fort came under the possession of Hadas and then Kumbhas conquered it. Mandalgarh was the gateway to Mewar for the Mughal emperors. Among the places of interest here are Shiva temple, Rishabhdev Jain temple etc.

Sawai Bhoj Temple-
50 km from Bhilwara on Bhilwara-Biawar road. The ancient temple of Sawai Bhoj in distant Asind is the pilgrimage center of Gurjar society. here . A cattle fair is held every year in the month of Bhadra.

Menal-
20 KM from Mandalgarh. This archaeological and tourist site is situated on the border of Chittor. The Mahakaleshwar temple, Ruthi Rani's palace and Hazareshwar temple, built with red stones during the Chauhan period of 12th century, are worth visiting here.

Jahazpur-
This is a famous historical place of Bhilwara. Here the famous mosque known as Gabi Pir is visible.

Bijolia-
35 KM from Mandalgarh. The famous Mandakini temple is situated in distant Bijolia. The first peasant movement of Rajasthan started here. Bijolia is famous as a Jain pilgrimage site. The Parshvanath temple here is famous for its antiquity and the huge 12th century inscription.

Shahpura-
50 KM from Bhilwara. Far Shahpura was the capital during the princely period. This place is a major pilgrimage center for the devotees of Ramsnehi sect. The main temple is known as Ramdwara. Famous freedom fighter Thakur Kesari Singh Barahth ki Haveli exists in Shahpura. Phad paintings are also made in Shahpura. On the second day of Holi the famous Phooldol fair fills in Shahpura.

Other facts to remember
  • The religious rituals of this region during the Vedic period are known from the Yupa pillar found in the Nandasa. Union Energy Minister Sushil Kumar Shinde inaugurated the executed project of POWERGRID in Mandal town on 20 August 2011.
  • Ministry of Textiles has set up Powerloom Mega Cluster in Bhilwara. Presently the district accounts for about 50 percent of the country's suiting production.
  • Nahar dance, which takes place thirteen days after Holi, takes place in Mandal. The masquerade here is famous, which is done by Bhil-Meena.
  • Manikyalal Verma Textile Institute is one of the premier educational institute in Bhilwara.
  • Shahpura was the first princely state to establish responsible governance. At that time the ruler here was Sudars.
  • Nadev was
  • Famous Bahrupiya artist Jankilal Bhand is a resident of Aangucha.
  • The establishment of steel plants in Bhilwara district by National Ispat Corporation is proposed soon. This is expected to invest around Rs 4,000 crore in the state.
  • After Bharatpur, the second rail coach factory of the state will be established in Bhilwara. This factory will be set up jointly by BHEL and Railways. 'Maimu' coach factory has also been established in Bhilwara.

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करौली जिला {कैला देवी की आस्था स्थली}

अक्षांशीय स्थिति- 26°3' से 26°49' उत्तरी अक्षांश। दर्श

देशान्तरीय स्थिति- 76°35 से 77°26' पूर्वी देशान्तर। . क्षेत्रफल-5,524 वर्ग किमी.।

जनसंख्या - 14,58,248 . लिंगानुपात-861

साक्षरता- 66.2% (राज्य में 14वाँ स्थान)। 

तहसील- हिंडोन, करौली, नदोती, सपोटरा, टोडाभीम, मंडरायल।

लोकसभा क्षेत्र- करौली-धौलपुर।

 विधानसभा क्षेत्र- टोडाभीम, हिंडोन, करौली, सपोटरा।

प्राचीन नाम-
कल्याणपुरी, गोपाल पाल।

भौगोलिक उपनाम- कैलादेवी की भूमि, ब्रजभूमि। 

पड़ोसी राज्य- मध्यप्रदेश।

पड़ोसी जिले- सवाईमाधोपुर, दौसा, भरतपुर और धौलपुर।

प्रमुख स्थान- करौली, महावीर जी, हिण्डौन, सपोटरा, नादौती, टोडाभीम। 

नदियाँ- चम्बल, गम्भीरी। 

जलाशय/झीलें- पाँचना बाँध [करौली के समीप पाँच - छोटी-छोटी नदियों पर निर्मित मिट्टी का बाँध]

जलवायु- जलवायु शुष्क है।

मिट्टी- काँप मिट्टी। 

वनस्पति-

करौली जिला वन सम्पदा की दृष्टि से धनी है। जिले के लगभग 38.59 प्रतिशत भाग पर वन पाये जाते हैं। यहाँ खैर, जामुन, गुलर आदि वृक्ष पाए जाते हैं। 

वन्य जीव 

कैलादेवी अभयारण्य-यहाँ बाघ, बघेरा, जरख, सियार, साम्भर, चिंकारा, चीतल, नीलगाय, सेही आदि वन्यजीव पाए जाते हैं। 1991 में रणथम्भौर के निकट मानते हुए इसे संरक्षित वन क्षेत्र एवं वन जीव अभयारण्य घोषित
किया गया।

पशुपालन डेयरी- शिवरात्रि पशुमेला (यह मेला हरियाणवी नस्ल के पशुओं के लिए प्रसिद्ध है।) 

जल परियोजनायें- पाँचना बाँध परियोजना। यह मिट्टी का बना बाँध है जो पाँच नदियों के संगम पर बनाया गया हैं। ये नदियाँ हैं-भद्रावती, बरखेड़ा, अटा, माची, भैसावत।

कृषि/फसलें- गेहूँ, ज्वार, चना एवं सरसों।

खनिज- ताँबा, लौह अयस्क, चूना पत्थर।

हस्तशिल्प- पत्थरों की कलात्मक कलाकृतियाँ, मूर्तियाँ, चक्कियाँ, कुण्डा, कुण्डी, प्यालियाँ आदि।

परिवहन- राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर-11 करौली जिले से अ होकर गुजरता है।

दर्शनीय स्थल :- 

कैलादेवी-

यह मंदिर करौली से 20 किमी. दूर स्थित है। यहाँ प्रतिवर्ष मार्च-अप्रेल में मेले का आयोजन किया जाता है। कैलादेवी को अष्टभुजाओं के रूप में स्थापित किया गया है। यह करौली के यदुवंश की कुलदेवी है। प्रत्येक अमावस्या को यहाँ मेला भरता है। यहाँ लांगुरिया गीत गाया जाता है।

मदनमोहन जी का मंदिर-
madmohanji temple karoli

इस मंदिर में महाराजा गोपालदास द्वारा जयपुर से लाई गई काले संगमरमर की प्रतिमा स्थापित है। यहाँ की चित्रकला भव्य है तथा मंदिर पूरे क्षेत्र में आस्था का बड़ा केन्द्र है। 

श्री महावीर जी-
mahavirji temple करौली
महावीर जी 

यह दिगम्बर सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ चैत्रसुदी त्रयोदशी से वैशाख कृष्णा द्वितीया तक मेले का आयोजन किया जाता है। यहाँ 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की 400 वर्ष पुरानी प्रतिमा स्थापित है। जैनियों के अतिरिक्त श्रीमहावीर जी मीणा एवं गुर्जर समाज के लिए आराध्य हैं। श्री महावीर जी की साध्वी कमलाबाई को महिला शिक्षा साक्षरता के लिए 2005 में कालीबाई महिला साक्षरता उन्नयन पुरस्कार दिया गया।

तिमनगढ़- 

मांसलपुर कस्बे के निकट तिमनगढ़ किले का निर्माण 1244 में युदवंशीय शासक तिमनपाल ने करवाया था। किले में कई मूर्तियाँ हैं।

करौली के महल- 

करौली में महाराजा गोपालदास के समय का खूबसूरत महल है, जिसके रंगमहल एवं दीवानए-आम को खूबसूरती से निर्मित किया गया है। 

फतेहपुर किला- 

करौली जिला मुख्यालय से 30 किमी. दूर यह किला यदु शासकों के बड़े जागीरदार हर नगर के ठाकुर घासीराम द्वारा 1702 ई. में निर्मित किया गया।

 ऊँटगिरि दुर्ग-

15वीं शताब्दी में स्थापित ऊँट गिरि दुर्ग करणपुर के कल्याणपुरा गाँव की ऊँची पर्वत श्रृंखला की सुरंगनुमा पहाड़ी पर स्थित है। यह दुर्ग सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रहा है। 1506-07 ई. में सिकन्दर लोदी ने इस पर आक्रमण किया था। 

बहादुरपुर का किला-

करौली से 15 किमी. दूर ससेड़ गाँव के निकट स्थित बहादुरपुर का किला मुगलकालीन स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। नृप गोपाल भवन, मगधराय की छतरी दर्शनीय है।

मण्डरायलका किला-

करौली शहर से 40 किमी. दूर चम्बल नदी के किनारे यह किला स्थित है। यह किला यादवों का पूर्वी प्रवेश द्वार माना जाता था।

अन्य स्मरणीय तथ्य


• करौली में हस्तकला में प्रमुख स्थान लाख की चूड़ियों का है।

Other District Rajasthan :-

Jaipur District         Dausa District         Alwar District       Sikar District

Jhunjhunu District      Jodhpur District        Jalor District           Barmer District

Pali District           Jasilmer District           Bhilwara District          Karauli District


Karauli district {the place of faith of Kaila Devi}

Latitudinal Position - 26°3' to 26°49' North Latitude. view

Longitudinal position - 76°35' to 77°26' East longitude. . Area-5,524 sq. km.

Population - 14,58,248. Sex Ratio-861

Literacy- 66.2% (14th in the state).

Tehsil- Hindon, Karauli, Nadoti, Sapotra, Todabhim, Mandrayal.

Lok Sabha constituency- Karauli-Dholpur.

 Assembly constituencies- Todabhim, Hindon, Karauli, Sapotra.

Ancient name- Kalyanpuri, Gopal Pal.

Geographical surname- land of Kailadevi, Brajbhoomi.

Neighboring state- Madhya Pradesh.

Neighboring districts- Sawai Madhopur, Dausa, Bharatpur and Dholpur.

Major places- Karauli, Mahavir ji, Hindaun, Sapotra, Nadauti, Todabhim.

Rivers- Chambal, Gambhiri.

Reservoir/lakes – Panchna Dam [Earth dam built on five small rivers near Karauli]

Climate - The climate is dry.

Clay - trembling soil.

Vegetation-

Karauli district is rich in terms of forest wealth. Forests are found on about 38.59 percent of the district. Well, Jamun, Gular etc. trees are found here.

wildlife

Kailadevi Sanctuary – Wildlife is found here like Tiger, Baghera, Jarakh, Jackal, Sambhar, Chinkara, Chital, Nilgai, Sehi etc. Considering it near Ranthambore in 1991, it was declared a protected forest area and a wildlife sanctuary.
was done.

Animal Husbandry Dairy- Shivratri Pashu Mela (This fair is famous for Haryanvi breed of animals.)

Water Projects- Panchna Dam Project. It is an earthen dam built at the confluence of five rivers. These rivers are Bhadravati, Barkheda, Ata, Machi, Bhaisawat.

Agriculture/Crops – Wheat, Jowar, Gram and Mustard.

Minerals- copper, iron ore, limestone.

Handicrafts- Artifacts of stone, sculptures, mills, swivels, kundis, cups etc.

Transportation- National Highway No-11 passes through Karauli district.

Scenic Spots :-

Kailadevi-
This temple is 20 km from Karauli. It is situated far away. A fair is organized here every year in March-April. Kailadevi is installed in the form of octagons. It is the Kuldevi of Yaduvansh of Karauli. A fair fills here on every new moon. Here languria song is sung.
Madanmohan's temple-

madmohanji temple karoli

The black marble statue brought from Jaipur by Maharaja Gopaldas is installed in this temple. The painting here is grand and the temple is a big center of faith in the entire region.

Mahavir ji
It is the main pilgrimage center of the Digambara sect. A fair is organized here from Chaitrasudi Trayodashi to Vaishakh Krishna Dwitiya. A 400-year-old statue of Lord Mahavir Swami, the 24th Tirthankara, is established here. Apart from Jains, Shri Mahavir ji is adorable to Meena and Gurjar society. Shri Mahavir ji's Sadhvi Kamlabai was given Kalibai Women Literacy Upgradation Award in 2005 for female education literacy.

Timangarh-
Timangarh Fort near Mansalpur town was built in 1244 by the Yudvanshi ruler Timanpal. There are many idols in the fort.

Palaces of Karauli
In Karauli there is a beautiful palace of the time of Maharaja Gopaldas, whose Rangmahal and Diwan-Aam have been beautifully built.

Fatehpur Fort-
30 KM from Karauli district headquarter. This fort was built in 1702 AD by Thakur Ghasiram of Har Nagar, a large vassal of the Yadu rulers.

 Untgiri Fort-
The Camel Giri Fort, established in the 15th century, is situated on a tunnel-shaped hill in the high mountain range of Kalyanpura village of Karanpur. This fort has been strategically important. It was attacked by Sikandar Lodi in 1506-07 AD.

Bahadurpur Fort-
15 KM from Karauli. The Bahadurpur Fort, located near the village of Sased, is a unique specimen of Mughal architecture. Nrip Gopal Bhawan, the umbrella of Magadharai is worth a visit.

Mandrayalka Fort-
40 KM from Karauli city. This fort is situated on the banks of Chambal river. This fort was considered to be the eastern entrance of the Yadavas.

Other facts to remember

• The major place in handicraft in Karauli is lac bangles.

Other District Rajasthan :-

Jaipur District         Dausa District         Alwar District       Sikar District

Jhunjhunu District      Jodhpur District        Jalor District           Barmer District

Pali District           Jasilmer District           Bhilwara District          Karauli District


jaisalmer district rajasthan gk

        जैसलमेर{राजस्थान की स्वर्ण नगरी }

भौगोलिक परिदृश्य

भौगोलिक स्थिति- राजस्थान का सबसे पश्चिम जिला। चारों ओर मरुभूमि से घिरा होने के कारण इस शहर के बारे में कहा जाता है कि केवल पत्थर की टांगें ही आपको वहाँ ले जा सकती हैं।
अक्षांशीय स्थिति- 26°1' से 26°02' उत्तरी अक्षांश।
देशान्तरीय स्थिति- 69°30' से 72°20' पूर्वी देशान्तर।
क्षेत्रफल- 38401 वर्ग किमी. (यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा जिला है।)
जनसंख्या- 6,69,919 जनसंख्या की दृष्टि से यह राजस्थान का सबसे छोटा जिला है। यह जिला राज्य का सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला जिला है (17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी.)।
लिंगानुपात- 852 
साक्षरता- 57.2% (राज्य में 28वाँ स्थान)।
न्यूनतम पशु घनत्व वाला जिला- 74 पशु प्रति वर्गकिमी.
 तहसील-  पोकरण, जैसलमेर, फतेहगढ़।
लोकसभा क्षेत्र- बाड़मेर
विधानसभा क्षेत्र- जैसलमेर, पोकरन। 

प्राचीन नाम-

 मांड धरा, वल्लमण्डल, मांड प्रदेश।

 भौगोलिक उपनाम-

स्वर्ण नगरी, पीले पत्थरों का शहर, हवेलियों और झरोखों की नगरी, रेगिस्तान का गुलाब, राजस्थान का अण्डमान, स्वर्णिम इतिहास का साक्षी।

पड़ोसी देश- पाकिस्तान।
पड़ोसी जिले-  बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर
प्रमुख स्थान- जैसलमेर, पोकरण, रामदेवरा, नाचना, समगाँव, मोहनगढ़, तनोट।
 स्थलाकृति-  जैसलमेर जिले का सामान्य आकार सात दिशाओं वाले अनियमित बहुभुज जैसा है

नदियाँ-

काकनेय, लाठी और धोगड़ी। काकनेय नदी को काकनी या मसूरदी भी कहते हैं। 

जलाशय/झीलें-

गढीसर, अमरसागर, बुज झील (काकनी नदी इसी में गिरती है), मूल सागर, गजरूप सागर, विजडासर, जैतसर।
 जलवायु- यहाँ की जलवायु उष्ण और शुष्क है। उच्चतम तापमान 47° सेंटीग्रेड तथा न्यूनतम 20° सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है। औसत तापमान 24° सेंटीग्रेड रहता है। औसत वर्षा 23 सेंटीमीटर वार्षिक है।

 मिट्टी-

जैसलमेर जिले में रेतीली मिट्टी पाई जाती है। इसमें लवणीयता का काफी अंश पाया जाता है। जिप्सम की खाद का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। यह मिट्टी मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा के लिए प्रसिद्ध है। 

वनस्पति-

जैसलमेर में मरुद्भिद (Xerophyte) वनस्पति मिलती है। खेजड़ी, धोकड़ा, बैर, कीकर, रोहिड़ा प्रमुख वृक्ष हैं। केक्टस की सभी किस्में यहाँ पाई जाती है। रोहिड़ा मरुस्थल का सागवान तथा खेजड़ी को थार का कल्पवृक्ष कहा जाता है। राज्य के 1.53 प्रतिशत भाग पर वन मिलते हैं। सेवण एवं लीलण घास के लिए यह जिला प्रसिद्ध है। रोहिड़ा के फूल को राज्य पुष्प और खेजड़ी को राज्य वृक्ष के रूप में मान्यता दी गई है।

वन्य जीव

राष्ट्रीय मरु उद्यान-

4 अगस्त, 1980 को राज्य सरकार ने इसे अभयारण्य घोषित किया। यह राज्य का दूसरा बड़ा अभयारण्य है जो 3162 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है। यह जैसलमेर और बाड़मेर जिलों में फैला है। राज्य पक्षी गोडावण का यह घर माना जाता है। चिंकारा, मरु बिल्ली, मरु लोमड़ी, सियार, भेड़िया, मरु खरगोश यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख जीव जन्तु हैं।

आकल वुड फॉसिल्स पार्क-

जैसलमेर से 17 किमी दूर आकल ग्राम में यह पार्क स्थित है। यहाँ 18 करोड़ वर्ष पुराने पेड़-पौधों के जीवाश्म मिलते हैं।

उज्जला- जिले का एकमात्र शिकार निषिद्ध क्षेत्र उज्जला में स्थित है।

पशुपालन डेयरी- जैसलमेर जिला ऊँट और गाय की दधारू नस्लों के लिए प्रसिद्ध है। नाचना का ऊँट सवारी और बोझ ढोने के लिए प्रसिद्ध है। गाय की राठी और थारपारकर नस्लें प्रमुख दुधारू नस्लें हैं। जैसलमेर का मालाणी गाँव थारपारकर गायों का उत्पत्ति स्थल माना जाता है। पोकरण में एक डेयरी अवशीतन केन्द्र है जो जोधपुर डेयरी संयंत्र के अधीन कार्य करता है।

जल परियोजनायें- इंदिरा गाँधी नहर परियोजना से पेयजल प्राप्त होता है। यहाँ पोकरण लिफ्ट नहर से पेयजल प्राप्त होता है। इसका नया नाम बदलकर जयनारायण व्यास लिफ्ट नहर कर दिया गया है।
कृषि/फसलें-  ज्वार, बाजरा। 

खनिज- स्टील ग्रेड लाईम स्टोन (सोनू क्षेत्र), डोलामाइट, संगमरमर, रॉक फॉस्फेट (बिरमानिया), बेन्टोनाइट, मुल्तानी मिट्टी, चाइना क्ले, सेण्डस्टोन और जिप्सम। जैसलमेर पीले पत्थरों के लिए भी प्रसिद्ध है। यह छींटदार होता है।

 ऊर्जा- पवन ऊर्जा की दृष्टि से जैसलमेर जिला अग्रणीय है। यहाँ राजस्थान की पहली पवन ऊर्जा परियोजना अमरसागर में स्थापित की गई है। यहाँ निजी क्षेत्र में भी पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। रामगढ़ में स्थानीय गैस पर आधारित विद्युत परियोजना स्थापित की गई है। घोटारू से हीलियम, तनोट और मनिहारी टिब्बा से प्राकृतिक गैस प्राप्त होती है। रेलवे की ओर से जैसलमेर में 21 मेगावाट शक्ति वाले दो विशालकाय एयर पावर प्लांट लगाया जाना प्रस्तावित है। 
 उद्योग- पर्यटन उद्योग, पत्थर की नक्काशी और खादी ग्रामोद्योग। 
हस्तशिल्प- नक्काशीदार लकड़ी की डिब्बियाँ, पटू, कढ़ाईदार वस्तुएँ, ऊनी शॉल। 
परिवहन-  राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-15 जैसलमेर जिले से होकर ही गुजरता है। यह राज्य का सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग है। जोधपुर (285 किमी. दूर) निकटतम हवाई अड्डा है।

दर्शनीय स्थल :- 

किला-

sonargarh ka kila jaisalmer

जैसलमेर का किला 'सोनारगढ़' के नाम से भी जाना जाता है। इसे 'उत्तर भड़ किंवाड़' कहा गया है। इसकी स्थापना 1155 ई. में रावल जैसल द्वारा की गई। यह दुर्ग पीले पत्थरों द्वारा निर्मित है। सूर्य की रोशनी जब दुर्ग पर गिरती है तो सोने के समान चमकीला लगता है। यह धान्वन दुर्ग है। 
यह एकमात्र ऐसा दुर्ग है जिसमें चूने का नाममात्र भी प्रयोग नहीं किया गया।
21 जून, 2013 को यूनेस्को के द्वारा इसे विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।

कलात्मक हवेलियाँ-

जैसलमेर में स्थित हवेलियों के कारण ही इसे हवेलियों का शहर कहा जाता है। यहाँ नथमल की हवेली, सालिमसिंह की हवेली व पटवों की हवेली स्थित है।

बड़ा बाग-

बड़ा बाग की छतरियाँ जैसलमेर के शासकों के स्मारक के रूप में प्रसिद्ध हैं। 

गड़सीसर सरोवर-
gadsisar sarover jaisalmer

जैसलमेर शहर के प्रवेश मार्ग पर स्थित इस पवित्र सरोवर का निर्माण रावल गड़सीसिंह ने 1340 ई. में कराया था। यह सरोवर अपने कलात्मक प्रवेश द्वार, जलाशय के मध्य स्थित सुन्दर छतरियों एवं इसके किनारे बने बगीचों के कारण प्रसिद्ध है। 1965 ई. से पहले यह सरोवर जैसलमेर वासियों का प्रमुख पेयजल स्रोत था। 

बादल विलास व जवाहर विलास-
यह जैसलमेर के महारावलों के निवास स्थान थे। इन अद्भुत कलाकृतियों में बादल निवास में बना ताजिया टॉवर पाँच मंजिला है। जवाहर विलास में झरोखों व छतरियों के साथ ही दीवारों पर उत्कीर्ण कलाकृतियाँ दर्शनीय है। इनका निर्माण 1920वीं शताब्दियों में हुआ।
तनोट माता-
tanot mata jaisalmer

जैसलमेर से लगभग 120 किमी. दूर तनोट नामक स्थान जैसलमेर के शासकों की पूर्व राजधानी था। यहाँ तनोट माता का मंदिर है जिसे थार की वैष्णों देवी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के सामने भारत की पाकिस्तान पर 1965 ई. की विजय का प्रतीक विजय स्तम्भ स्थित है। 
रामदेवरा-
यह जैसलमेर-बीकानेर, मार्ग से जैसलमेर से 125 किमी. दूर स्थित है। रामदेवरा ही रुणेचा नाम से भी जाना जाता है। यहाँ रामदेवजी का विख्यात मंदिर स्थित है। यहाँ स्थित मंदिर का निर्माण 1931 में बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने करवाया था।
पोकरण-
जैसलमेर से जोधपुर मार्ग पर 110 किमी. दूर स्थित पोकरण एक प्रसिद्ध स्थान है। भारत सरकार द्वारा किए गए भूमिगत परमाणु परीक्षण इसी स्थल पर किए गए थे। पहला परमाणु विस्फोट 18 मई, 1974 तथा दूसरा 11 व 13 मई, 1998 को किया गया। पोकरण में लाल पत्थरों से निर्मित 1550 ई. का दुर्ग है, जिसे राव मालदेव ने बनवाया था।
लोद्रवा-
lodurava jaisalmer

यह जैसलमेर के भाटी शासकों की पूर्व राजधानी था। यह जैन सम्प्रदायों का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ भगवान पार्श्वनाथ का मंदिर निर्मित है। कृत्रिम कल्पवृक्ष यहाँ का एक अन्य आकर्षण है। 
अमरसागर-
Amarsagar jaisalmer

लोद्रवा से 5 किमी. दूर अमरसागर तालाब व उद्यान स्थित है। अमरसागर झील के किनारे जैन मन्दिर स्थित है, जिसे 1871 ई. में बाफना हिम्मत राम ने बनवाया था।
 सम के टीले-
जैसलमेर के पश्चिम में 42 किमी. दूर थार के रेगिस्तान में सम नामक स्थान पर रेतीले टीले हैं। यहाँ मरु उत्सव का आयोजन किया जाता है।

 अन्य स्मरणीय तथ्य

  1. मूमल जैसलमेर चित्रशैली का सबसे आकर्षक चित्र माना जाता है।
  2. मीठे पानी की उपलब्धता के कारण जैसलमेर के चान्दण नलकूप को 'थार का घड़ा' कहा जाता है।
  3. जैसलमेर के रामगढ़ में एशिया का सबसे ऊँचा टी.वी. टावर (300 मीटर) स्थित है।
  4. राजस्थान में आने वाले पर्यटकों में लगभग 10 प्रतिशत जैसलमेर की यात्रा करते हैं।
  5. पाकिस्तान से लगती जैसलमेर जिले की सीमा सबसे लम्बी है। (464 किमी.)।
  6. जिले का मरु उत्सव पर्यटकों में अत्यन्त लोकप्रिय के जिसे 1979 से पर्यटन विभाग आयोजित कर रहा है। हर वर्ष माघ सुदी तेरह से पूर्णिमा तक यह उत्सव मनाया जाता है। 
  7. जैसलमेर के कुलाधरा गाँव में कैक्टस गार्डन विकसित किया गया है।
  8. जैसलमेर के 120 किमी. दूर बीरमानिया क्षेत्र में करीब 5 वर्ग किमी. क्षेत्र में रॉक फॉस्फेट के विशाल भण्डारों का पता चला है।
  9. जैसलमेर को अब पंखों की नगरी के नाम से भी देश में जाना जाने लगा है। पवन ऊर्जा क्षेत्र में सरकार के साथ निजी क्षेत्र में उत्पादन में जैसलमेर अग्रणी हो गया है। पाँच परियोजनाओं के 70 से अधिक टावरों पर लगे पंखे इसके प्रमाण हैं।
  10. जैसलमेर जिले में कई स्थानों पर मीठे पानी के भण्डार मिलना आश्चर्यजनक है। जिले के पोछिना क्षेत्र के तहत बीछराज का तला में 200 मीटर, कोठा और बईयां क्षेत्र में 125 मीटर की गहराई पर मीठे जल के भण्डार मिले हैं। जैसलमेर से पाँच किमी. दूर गजरूप सागर में 125 मीटर की गहराई में अथाह जल के भण्डार मिले हैं, जिससे जैसलमेर शहर को जलापूर्ति भी की जा रही है।
  11. 31 मार्च, 2012 को जैसलमेर के घूडसर में 40 मेगावाट क्षमता का राजस्थान का पहला सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया। 
  12. जैसलमेर में स्थित रामगढ़ गैस विद्युत परियोजना राज्य की प्रथम गैस आधारित विद्युत परियोजना है। इसकी विद्युत उत्पादन क्षमता 223.5 मेगावाट है।
  13. जैसलमेर में स्थित अमरसागर में राज्य की प्रथम पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित है, जिसकी उत्पादन क्षमता 2 मेगावाट है।

Other District Rajasthan :-

Jaipur District         Dausa District         Alwar District       Sikar District

Jhunjhunu District      Jodhpur District        Jalor District           Barmer District

Pali District           Jasilmer District           Bhilwara District          Karauli District

Jaisalmer {Golden City of Rajasthan}

geographical landscape

Geographical Location- Westest district of Rajasthan. Being surrounded by desert all around, it is said about this city that only stone legs can take you there.
Latitude - 26°1' to 26°02' North latitude.
Longitudinal position- 69°30' to 72°20' East longitude.
Area - 38401 sq. km. (It is the largest district of Rajasthan in terms of area.)
Population - 6,69,919 It is the smallest district of Rajasthan in terms of population. This district is the district with the lowest population density in the state (17 persons per sq. km.).
Sex Ratio- 852
Literacy- 57.2% (28th rank in the state).
District with minimum animal density- 74 animals per sq.km.
 Tehsil- Pokaran, Jaisalmer, Fatehgarh.
Lok Sabha constituency- Barmer.
Assembly constituency : Jaisalmer, Pokran.
ancient name-
 Mand Dhara, Vallamandal, Mand region.
 Geographical surname-
Golden city, city of yellow stones, city of havelis and windows, rose of desert, Andaman of Rajasthan, witness to golden history.

Neighboring country- Pakistan.
Neighboring districts- Barmer, Bikaner, Jodhpur.
Major places- Jaisalmer, Pokaran, Ramdevra, Nachna, Samgaon, Mohangarh, Tanot.
 Topography- The general shape of Jaisalmer district is seven-sided irregular polygon.
rivers-
Kakney, Lathi and Dhogadi. Kakney River is also known as Kakani or Masoordi.

Reservoir/Lake-

Gadisar, Amarsagar, Buj Lake (Kakni river falls in this), Mool Sagar, Gajroop Sagar, Vijdasar, Jaitsar.
 Climate- The climate here is hot and dry. The highest temperature reaches 47°C and the lowest reaches 20°C. The average temperature is 24°C. The average rainfall is 23 cm annually.
 soil-
Sandy soil is found in Jaisalmer district. It has a high degree of salinity. Gypsum compost is specially used. This soil is famous for coarse grains like jowar, bajra.

Vegetation-

Xerophyte vegetation is found in Jaisalmer. Khejdi, Dhokra, Bair, Kikar, Rohida are the main trees. All varieties of cactus are found here. The teak of Rohida desert and Khejdi are called Kalpavriksha of Thar. Forests are found on 1.53 percent of the state. This district is famous for Savan and Leelan grass. Rohida flower is recognized as the state flower and Khejri as the state tree.
wildlife

National Desert Park-

On August 4, 1980, the state government declared it a sanctuary. It is the second largest sanctuary of the state which covers an area of ​​3162 sq.km. spread over the area. It is spread over Jaisalmer and Barmer districts. It is considered to be the home of the state bird Godavan. Chinkara, maru cat, maru fox, jackal, wolf, maru rabbit are the main fauna found here.
Akal Wood Fossils Park-
This park is located in Akal village, 17 km from Jaisalmer. Fossils of plants and plants that are 180 million years old are found here.

Ujjala- The only hunting prohibited area of ​​the district is located in Ujjala.

Animal Husbandry Dairy- Jaisalmer district is famous for the dairy breeds of camel and cow. The dancing camel is famous for riding and carrying loads. Rathi and Tharparkar breeds of cow are the major milch breeds. The Malani village of Jaisalmer is believed to be the origin of Tharparkar cows. There is a Dairy Cooling Center at Pokaran which functions under the Jodhpur Dairy Plant.

Water Projects- Drinking water is obtained from Indira Gandhi Canal Project. Here drinking water is obtained from the Pokaran lift canal. Its new name has been changed to Jaynarayan Vyas Lift Canal.
Agriculture/Crops- Jowar, Bajra.

Minerals- Steel grade Lime stone (Sonu Kshetra), Dolamite, Marble, Rock Phosphate (Birmania), Bentonite, Multani Mitti, China Clay, Sandstone and Gypsum. Jaisalmer is also famous for yellow stones. It is splashy.

 Energy- 
Jaisalmer district is leading in terms of wind energy. Here the first wind power project of Rajasthan has been established in Amarsagar. Wind power is also produced here in the private sector. Local gas based power project has been set up in Ramgarh. Helium is obtained from Ghotaru, natural gas from Tanot and Manihari Dunes. Two giant air power plants of 21 MW power are proposed to be set up by the Railways in Jaisalmer.
 Industries- tourism industry, stone carving and khadi village industries.
Handicrafts- Carved wooden boxes, pattu, embroidered items, woolen shawls.
Transportation- National Highway number-15 passes through Jaisalmer district only. It is the longest national highway in the state. Jodhpur (285 kms away) is the nearest airport.

Scenic Spots :-

Fort-

Jaisalmer Fort is also known as 'Sonargarh'. It has been called 'Uttar Bhad Kinwad'. It was founded in 1155 AD by Rawal Jaisal. This fort is built by yellow stones. When the sunlight falls on the fort, it looks as bright as gold. This is Dhanvan fort.
This is the only fort in which even a nominal amount of lime was not used.
It has been included in the World Heritage List by UNESCO on 21 June 2013.

Artistic Havelis-
Due to the havelis located in Jaisalmer, it is called the city of havelis. Here Nathmal ki Haveli, Salim Singh ki Haveli and Patwon ki Haveli are situated.

big garden-
The Chhatris of Bada Bagh are famous as a monument to the rulers of Jaisalmer.

Gadsisar Sarovar-
This holy lake situated on the entrance road of Jaisalmer city was built by Rawal Gadsi Singh in 1340 AD. was. This lake is famous for its artistic entrance, beautiful chhatris situated in the middle of the reservoir and gardens built on its banks. Before 1965, this lake was the main drinking water source of Jaisalmer residents.

Badal Vilas and Jawahar Vilas-
It was the residence of the Maharawals of Jaisalmer. Among these wonderful artifacts, the Tajia Tower built in Badal Niwas is five-storeyed. In Jawahar Vilas, artefacts engraved on the walls along with windows and umbrellas are visible. They were built in the 1920s.

Tanot Mata-
About 120 kms from Jaisalmer. A distant place called Tanot was the former capital of the rulers of Jaisalmer. There is a temple of Tanot Mata which is known as Vaishno Devi of Thar. In front of this temple there is a victory pillar symbolizing India's victory over Pakistan in 1965.

Ramdevra-
It is 125 km from Jaisalmer by Jaisalmer-Bikaner road. It is situated far away. Ramdevra is also known by the name Runecha. The famous temple of Ramdevji is situated here. The temple located here was built by Maharaja Ganga Singh of Bikaner in 1931.

Pokaran-
110 kms on Jaisalmer to Jodhpur route. Pokaran located far away is a famous place. Underground nuclear tests conducted by the Government of India were conducted at this site. The first nuclear explosion took place on 18 May 1974 and the second on 11 and 13 May 1998. In Pokaran there is a fort of 1550 AD built with red stones, which was built by Rao Maldev.

Lodrava-
It was the former capital of the Bhati rulers of Jaisalmer. It is the main pilgrimage center of Jain sects. The temple of Lord Parshvanath is built here. Artificial Kalpavriksha is another attraction here.

Amarsagar-
5 KM from Lodrava. Away Amarsagar Pond and Garden is located. Jain temple is situated on the banks of Amarsagar lake, which was built by Bafna Himmat Ram in 1871 AD.

 Evening mounds-
42 km west of Jaisalmer. In the distant Thar desert, there are sand dunes at a place called Sam. Maru festival is organized here.

 Other facts to remember

  1. Mumal Jaisalmer is considered to be the most attractive painting of the painting style.
  2. Due to the availability of fresh water, the Chandan tube well of Jaisalmer is called 'Pitcher of Thar'.
  3. Asia's tallest TV in Jaisalmer's Ramgarh The tower (300 m) is located.
  4. About 10 percent of the tourists visiting Rajasthan visit Jaisalmer.
  5. The border of Jaisalmer district with Pakistan is the longest. (464 km.).
  6. The Maru festival of the district is very popular among the tourists, which is being organized by the tourism department since 1979. This festival is celebrated every year from Magh Sudi Terah to Poornima.
  7. A cactus garden has been developed in Kuladhara village of Jaisalmer.
  8. 120 KM from Jaisalmer. In the distant Birmania area, about 5 sq. km. Huge deposits of rock phosphate have been discovered in the area.
  9. Jaisalmer is now also known in the country as the city of wings. Jaisalmer has become a leader in the production in the private sector along with the government in the wind power sector. Fans installed on more than 70 towers of five projects are proof of this.
  10. It is surprising to find fresh water reserves at many places in Jaisalmer district. Under the Pochina area of ​​the district, fresh water reserves have been found at a depth of 200 meters in Bichraj Ka Tala, 125 meters in Kotha and Baiyan areas. 5 KM from Jaisalmer. Unfathomable water reserves have been found at a depth of 125 meters in Gajarup Sagar, due to which water supply is also being done to Jaisalmer city.
  11. Rajasthan's first solar power plant of 40 MW capacity was installed at Ghudsar, Jaisalmer on 31 March 2012.
  12. Ramgarh Gas Power Project located in Jaisalmer is the first gas based power project in the state. It has a power generation capacity of 223.5 MW.
  13. The state's first wind power project is established in Amarsagar located in Jaisalmer, which has a generation capacity of 2 MW.

Other District Rajasthan :-

Jaipur District         Dausa District         Alwar District       Sikar District

Jhunjhunu District      Jodhpur District        Jalor District           Barmer District

Pali District           Jasilmer District           Bhilwara District          Karauli District