तेजाजी
तेजाजी |
- जाटों के आराध्य वीर तेजाजी का जन्म
नागौर जिले के खड़नाल गाँव में हुआ। इनके पिता-ताहड़जी जाट, माता राजकुंवरि और पत्नी का नाम पेमल था।
- तेजाजी ने लाछा गुजरी की गायें मेर के मीणाओं से छुड़ाते हुए प्राणोत्सर्ग किए।
- सुरसुरा (अजमेर) में तेजाजी को साँप
ने डसा और सैंदरिया (अजमेर) में उन्हें वीरगति प्राप्त हुई। साँपों के दूसरे
देवता कहलाते हैं।
- तेजाजी की घोड़ी का नाम लीलण (सिणगारी) था। तेजाजी के भोपे को तेजाजी का घोड़ला' कहते हैं।
- परबतसर (नागौर) का तेजाजी पशु मेला
राजस्थान का सबसे बड़ा पशुमेला है, जो प्रतिवर्ष तेजादशमी (भाद्रपद शुक्ल दशमी) को लगता है।
- नागौर में खड़नाल व परबतसर और अजमेर
में सुरसुरा, सैंदरिया, भाँवता और ब्यावर में तेजादशमी पर मेले भरते हैं
- बाँसी दुगारी (बूंदी) तेजाजी की
कर्मस्थली है। यहाँ विशाल सरोवर के किनारे तेजाजी का पवित्र तीर्थ है।
- पाबूजी, गोगाजी और तेजाजी सहित अधिकांश लोकदेवताओं ने गौरक्षा के लिए बलिदान दिया।
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Tejaji
- Veer Tejaji, the beloved of Jats,
was born in the village of Khadnal in Nagaur district.
His father- Taharji Jat, mother Rajkunwari and
wife's name was Pemal.
- Tejaji sacrificed his life while
freeing the cows of Lachha Gujari from the Meenas of Mer.
- In Sursura (Ajmer) Tejaji
was bitten by a snake and in Sandaria (Ajmer) he attained martyrdom. The
other gods of snakes are called.
- Tejaji's mare was named Leelan (Singari).
Tejaji's Bhope is called 'Tejaji's Ghodla'.
- The Tejaji cattle fair of
Parbatsar (Nagaur) is the largest cattle fair in Rajasthan, which is held
every year on Tejadashmi (Bhadrapada Shukla Dashami).
- In Nagaur, Khadnal and Parbatsar
and in Ajmer, Sursura, Sandaria, Bhanta and Beawar organize fairs on
Tejadashmi.
- Bansi Dugari (Bundi) is Tejaji's workplace. There
is a holy shrine of Tejaji on the banks of the huge lake.
- Most of the folk deities
including Pabuji, Gogaji and Tejaji made sacrifices for cow protection.