कछारी मिट्टी (जलोढ़)
- यह मिट्टी राज्य के पूर्वी भागों—भरतपुर, धौलपुर, दौसा, जयपुर, टोंक एवं सवाईमाधोपुर जिलों में मिलती है। इसमें सामान्यतः जिंक (जस्ता) की कमी होती है।
- इस मिट्टी का रंग हल्का लाल होता है एवं पानी का रिसाव धीमा होता है, इसलिए पानी मिलने पर यह मिट्टी कृषि के लिए बहुत उपयोगी है।
- परन्तु अत्यधिक सिंचाई की वजह से इसमें लवणीयता की समस्या होती है।
- मिट्टी में नाइट्रोजन तत्वों की अधिकता होती है एवं फॉस्फेट तथा कैल्सियम लवणों की कमी रहती है।
- यह मिट्टी गेहूँ, चावल, कपास, जौ, ज्वार, सरसो आदि फसलों की कृषि हेतु उपयुक्त है।
Alluvial soil (alluvial)
- This soil is found in the eastern parts of the state-Bharatpur, Dholpur, Dausa, Jaipur, Tonk and Sawai Madhopur districts. It is generally deficient in zinc.
- The color of this soil is light red and the leakage of water is slow, so this soil is very useful for agriculture when it gets water.
- But due to excessive irrigation, there is a problem of salinity in it.
- The soil is rich in nitrogen elements and deficient in phosphate and calcium salts.
- Makar This soil is suitable for the cultivation of crops like wheat, rice, cotton, barley, jowar, mustard etc.