cabon 13 nmr spectroscopy pdf


                                        C13 NMR BY ASRC 








c13 nmr spectroscopy introduction 

types of c13 nmr spectroscopy








you tube channal :-  AS RESEARCH CENTRE 


-----------------------------------JAI HIND JAI BHARAT --------------------------------------------------

wood word fieser rule

 

CONTENT :-

v Object

v introduction

v wood word fieser Rule

v wood word fieser rule for conjugated dienen

v homoannular diene

v hetroannular dinen

v exocyclica and endocyclic double bond

v extra conjugation

v  Conjugated dienen correaltions

v implementaion

v base value of α,β unsturated compounds

v Reference

OBJECTIVE :-

To familiraze the woodword fieser rule . To calculate the  maximum wavelength of organic compound

INTRODUCTION :-

Woodward's rules, named after Robert Burns Woodward and also known as Woodward–Fieser rules (for Louis Fieser) are several sets of empirically derived rules which attempt to predict the wavelength of the absorption maximum (λmax) in an ultraviolet–visible spectrum of a given compound. Examples are conjugated carbonyl compounds, conjugated dienes, and polyenes.

              wood-word-fieser-rule
                            

 Robert burn wood word                               luis fedrick fieser                             

 

WOOD WORD FIESER RULE :-

According to the wood ward fischer rule the λmax of the molecule can be calculated by using a formula :-

λmax = Base value + ∑substituents- contributes + ∑ other contributes

Base value :- Each type of diene or triene system is having a certain fixed value at which absorption take place, this value is known as base value.

In this Rule we will discuss 3 important point in  which compound and their base value

1.    wood word fieser rule for conjugated dienes correlation

2.    parent value and incresment for different substituents

3.    Wood word fieser rule for α,β unsaturatd carbonyl  compound or ketons

WOOD WORD FIESER RULE FOR CONJUGATED  DIENES:-

The following are types of conjugated dienes

1. Homoannuler diene :-

in this type of dienes both double bond contained in one ring.

And the base value of homoannular diene = 253 nm

                                


 2. Hetroannular diene :-

in this type of diene both double  bond distributed between two rings.

base value of hetroannular diene system are 214 nm.

                                      


3. Endo cyclic double bond :– double bond present in a ring.

                                                    


4. Exocyclic double bond :-  double bond in which one of the double bond atom is a part of a ring.

                                                 


5. Double bond extending :– when more double bond are present other than conjugated.

                                                


Different base value :-

Acyclic conjugated diene or Hetero annular conjugated diene   has 215 nm wavelength.

Homo annular conjugated diene :-253 nm

Acyclic trienes :- 245nm


Implemention :-

Conjugated dienes correlation

Standard (nm)

(A). parent value

 

Base value for heteroannular diene

214nm

Base value for homo annular diene

253nm

Buta diene system or cyclic conj. Diene

217nm

Acyclic trienes

245nm

(B). incresment for each substituents

 

Alkyl substituent or ring residue

5nm

Exocyclic double bond

5nm

Extending conjugation

30nm

(c). Auxochrome

 

-OCOCH3

0nm

-Cl , -Br

5nm

-OR

6nm

-SR

30nm

-NR3

60nm

Base value

Standard (nm)

Ar COR

246nm

ArCHO

250nm

ArCO2H

230nm

Incresments

 

Alkyl groups or ring residue O,M-position

3nm

Alkyl groups or ring residue at P- position

10nm


Auxochromes

Ortho

Position(nm)

Meta

Position(nm)

Para

Position(nm)

-OH

7

7

25

-OCH3

7

7

25

-O

11

20

78

-Cl

0

0

10

-Br

2

2

15

-NH2

13

13

58

-NHCOCH3

20

20

45

-N(CH3)2

20

20

85

Example of Conjugated diene correlations :-


example 2 :- 


example 3:-


example 4:-


Wood word fiser rule for unsaturated compound:-

in this type of compound carbonyl group are attached alfa-beta position of double bond

these compound are many following types –

1. α,β unsaturatd acid :-

 these compound have –COOH group are attached double bond from α,β position.

Base value of α,β unsaturatd acid:- 195nm.

2.  α,β unsaturatd aldehyde :-

these compound have –CHO group are attched double bond from α,β position.

Base value of these compound :- 207nm

3.  α,β unsaturatd ketone:-

these compound are two type

if  compound are persant in cyclic form then base value of these type compound are 215nm

and if compound are persant in acyclic form then compound value are 214nm

NOTE :-

if cyclic keton are persant in 5 membed ring then base value are 202nm           





References :-

1.   wood word, robert burns 1941”strcture and  the absorption spectra of α,β unsaturatd  ketones”

2.   Louis f.fieser, mary fieser (1948) “absorption  spectroscopy and strcture of the diosterols

3.   William reusch – “UV visible spectroscopy”

4.   Neil glaovich – (2007-19) “ wood word fieser  rule for dienes “


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bharat ke uttari maidan

 

भारत का भौतिक स्वरूप 

भूआकृतिक दृष्टि से भारत को चार भागों में बाँटा जाता है
1. उत्तरी पर्वतीय भूभाग
2. बृहत् मैदान
3. प्रायद्वीपीय उच्च भूमि
4. भारतीय तट एवं द्वीप समूह

1. उत्तरी पर्वतीय भूभाग :

 इसमें हिमालय, हिंदुकुश एवं पटकाई पर्वत श्रृंखला शामिल हैं।
 इसका निर्माण भारतीय एवं यूरेशियन प्लेटों के विवर्तनिक विक्षोभ के फलस्वरूप 50 मिलियन वर्ष पहले आरंभ हुआ। इसमें दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत शृंखलाएं स्थित हैं।
ये ध्रुवीय प्रदेश से आने वाली ठंडी हवाओं को रोककर भारत को नैसर्गिक उष्णता प्रदान करते हैं। ये मानसूनी हवाओं को रोककर भारतीय भू-भाग में वर्षा भी करवाती हैं।
देश के लगभग 10.6% क्षेत्र पर पर्वत, 18.5% क्षेत्र पर पहाड़ियाँ, 27.7% पर पठार तथा 43.2% पर मैदान विस्तृत है। यह नवीन मोड़दार पर्वतमाला है। 
यह पर्वत श्रेणी अनेक पर्वतों का समूह है। मुख्य श्रेणी को हिमालय श्रेणी के नाम से पुकारते हैं।

himalay_physical_map

इस हिमालय के उत्तरी पश्चिमी भाग में कारोकोरम लद्दाख, जास्कर श्रेणियाँ मिलती है 
जबकि दक्षिण-पूर्व में नागा, पटकोई, मणिपुर एवं अराकान श्रेणियाँ मिलती है।

वलयों की तीव्रता तथा निर्माण की आयु के आधार पर हिमालय को चार सामान्तर क्षेत्रों में बाँटा जाता है।
 (1) ट्रांस हिमालय/तिब्बत हिमालय 
(2) वृहत्/महान हिमालय 
(3) लघु/मध्य हिमालय
(4) बाह्य हिमालय/शिवालिक 

1. ट्रांस हिमालय 
  • यह मूलतः यूरेशिया प्लेट का एक खंड है।
  • इसका निर्माण हिमालय से पहले हो चुका था।
  • भारत की सबसे ऊँची चोटी K2या गाडबिन आस्टिन (8611 मी.) है जो काराकोरम की सर्वोच्च चोटी है।
  • यह अवसादी चट्टानों का बना है।
 2. महान/हिमाद्रि हिमालय 
  • इसकी औसत ऊँचाई 6100 मी.. 2500 किमी. और चौड़ाई 25 किमी. यह पश्चिम में नंगा पर्वत से पूर्व में नाम पर्वत तक स्थित है।
  • वृहत् हिमालय मध्य हिमालय से मेन सेंट्रल थ्रस्ट के द्वारा अलग होती है।
  • विश्व की सर्वोच्च चोटी माउण्ट एवरेस्ट इसी हिमालय पर अवस्थित है।
3. लघु या मध्य हिमालय

  • इसकी औसत ऊँचाई 1800 से 3000 मी. है।
  • पीरपंजाल श्रेणी इसका पश्चिमी विस्तार है। 
  • इस श्रेणी के दक्षिण-पूर्व की ओर धौलधा, नाग, रीवा मसूरी आदि श्रेणियां पायी जाती है।
  • इन श्रेणियों पर शिमला, मसूरी, नैनीताल, रानीखेत, अल्मोड़ा, दार्जिलिंग एवं डलहौजी नगर स्थित है। 
  • मध्य और महान हिमालय के बीच पश्चिम में कश्मीर की घाटी तथा पूर्व में काठमाण्डु घाटी है।
  • यहाँ पर कोणधारी वन मिलते हैं तथा ढालों पर छोटे-छोटे घास के मैदान पाये जाते हैं जिन्हें कश्मीर में मर्ग (गुलमर्ग, सोनमर्ग) - और उत्तराखंड में वग्याल और पयार कहते हैं। 
4. बाह्य हिमालय/शिवालिक 
  • इसकी औसत ऊँचाई 900 से 1200 मी. के बीच है
  • शिवालिक एवं मध्य हिमालय के बीच अनेक घाटियाँ पायी जाती है। 
  • इसको पश्चिम एवं मध्य भाग दून / देहरादून और पूर्व में द्वार जैसे हरिद्वार कहते है।
  • हिमालय की दो घुमाव युक्त एव मोड़दार भुजाएं हैं। 
  • पहली हिन्दुकुश, सलेमान और किरधर श्रीणया के नाम से है।
  • इसमें खैबर, बोलन और गोमल आदि दरे हैं ओर उत्तर-पूर्वी में गारो, खासी. जयन्तिया, पटकोई, लुसाई की पहाड़ियां आदि हैं एवं इसी का घुमावदार विस्तार भारत म्यांमार सीमा पर अराकानयोमा पर्वत के नाम से फैला है।
द्वीप समूह 

  • भारत में 247 द्वीप है जो बंगाल की खाडी  (204) तथा अरब सागर (36 द्वीप) में बिखरे हैं।
  • अंडमान निकोबार द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी में स्थित भारत का सबसे महत्वपूर्ण द्वीप है।
  • इनमें नारकोंडम, सुसुप्त एवं बैरन द्वीप सक्रिय ज्वालामुखी है।
  • अंडमान द्वीप की सर्वोच्च चोटी सैंडल पीक है।
  • भारत का दक्षिणतम बिन्दु पिगमेलियन प्वाइन्ट (इंदिरा प्वाइंट) ग्रेट निकोबार पर स्थित है।
  • पम्बन द्वीप मन्नार की खाड़ी में स्थित है।
  • हरिकोटा द्वीप आन्ध्रप्रदेश में स्थित है।
  • लक्षद्वीप अरब सागर में स्थित प्रवाल भित्ति द्वीप है।
  • अमीन दीव लक्षद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप है।
  • कावारत्ती लक्षद्वीप की राजधानी है।

हिमालय पर्वत का विस्तार पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक है। हिमालय की अधिकांश शृंखलाएं वर्ष भर हिमाच्छादित रहती हैं। 
  • कराकोरम जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है इसकी 60 से अधिक चोटियां 7000 मीटर ऊँची हैं। 
  • यह श्रृंखला 500 किमी. लंबी है और ध्रुवों के बाद सबसे अधिक हिमाच्छादित है।
  • सियाचिन और बियाफो ग्लेशियर इसी क्षेत्र में अवस्थित हैं। सियाचिन दुनिया की दूसरी बड़ी ग्लेशियर है। गिलगिट, सिंधु एवं श्योक नदियाँ कराकोरम की दक्षिणी सीमा निर्धारित करती हैं

पटकाई बुम या पूर्वांचल म्यांमार से लगती भारत की पूर्वी सीमा पर स्थित है।
ये उसी प्रक्रिया द्वारा निर्मित हैं, जिसके द्वारा हिमालय की श्रृंखला का निर्माण हुआ है।
इसकी मुख्य विशेषता है-खड़ी ढाल, गहरी घाटियां एवं कोण की आकार की चोटियां।
यह हिमालय की तरह विस्तृत नहीं है। 
इसमें तीन पहाड़ी शृंखलाए शामिल हैं, पटकाई बुम, गारो-खासी-जयंतिया एवं लुसाई पहाड़ी।

गारो-खासी जयंतिया श्रृंखला मेघालय में स्थित है। 
चेरापूंजी के पास मासिनराम गांव इसी श्रृंखला के पार्श्ववर्ती भाग में स्थित है। यह दुनिया के सबसे आर्द्र स्थानों में एक है।

2. वृहत् मैदान :

  •  सिंधु-गंगा का मैदान, जिसे वृहत् मैदान के नाम से भी जाना जाता है, सिंधु और गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी श्रृंखला का सबसे बड़ा मैदान है।
  • यह हिमालय पर्वत के समानांतर जम्मू-कश्मीर से लेकर असम तक फैला हुआ है। 
  • यह 7,00,000 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • गंगा और सिंधु इस क्षेत्र की प्रमुख नदियां हैं।
  • व्यास, यमुना, गोमती, रावी, चिनाब, सतलज एवं चम्बल इसकी सहायक नदियां हैं।

वृहत् मैदान को चार भागों में बाँटा जाता है-
  • भाबर क्षेत्र
  • तराई क्षेत्र, 
  • बांगर क्षेत्र
  • खादर क्षेत्र। 
भाबर हिमालय से लगा निचला भू-भाग है।
यह अपेक्षाकृत बड़े चट्टानों से निर्मित है। इसकी सरंध्रता इतनी अधिक है कि समूची नदी इसमें लुप्त हो जाती है। यह मैदान अत्यंत संकरी पट्टी में फैला हुआ है, जिसकी चौड़ाई 7 से 15 किमी. है।
तराई नवीन जलोढ़ मैदान हैं। ये अत्यंत नम और घने जंगलों वाले क्षेत्र हैं। इस क्षेत्र में वर्षा भी अधिक होती है। - यह अनेक प्रकार के वन्य जीवों का आवास स्थल है।

बांगर नदी की बाढ़ सीमा से ऊपर पुरानी जलोढ़क से निर्मित उच्च भूमि है। नवीन कांप द्वारा निर्मित नदियों के बाढ़ मैदान को खादर कहा जाता है। प्रतिवर्ष बाढ़ों के दौरान रेत की नई परत जमा होने से इसकी उर्वरता बनी रहती है।
गंगा-सिंधु का मैदान समतल भूभाग में फैला हुआ है। यहाँ नहरों से सिंचाई होती है। इस क्षेत्र में भूजल स्तर काफी ऊँचा है।
ये मैदान दुनिया के सबसे सघन खेती वाले क्षेत्र हैं। चावल और गेहूँ इस क्षेत्र की मुख्य फसल है। यह मैदान सघन आबादी का क्षेत्र है।

3. प्रायद्वीपीय उच्च भूमि : 

प्रायद्वीपीय उच्च भूमि तीन पठारों के मिलने से बना है।

ये तीन पठार हैं-पश्चिम में मालवा पठार, दक्षिण में दक्कन का पठार एवं पूर्व में छोटानागपुर का पठार।

मालवा का पठार राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं गुजरात में फैला हुआ है। इसकी औसत ऊँचाई 500 मीटर है एवं इसका ढलान उत्तर की ओर है। चम्बल इस क्षेत्र की मुख्य नदी है। 
दक्कन का पठार एक लंबा त्रिभुजाकार भूभाग है। यह उत्तर में विंध्य श्रेणी से घिरा हुआ है। यह एक चौरस क्षेत्र है और इसकी औसत ऊँचाई 300-600 मी. है। पश्चिम से पूर्व इसका ढलान सामान्य है। प्रायद्वीपीय क्षेत्र की नदियां गोदावरी, कृष्णा, कावेरी एवं नर्मदा इसी से निकलती हैं।
छोटानागपुर का पठार पूर्वोत्तर भारत में स्थित है। इसका अधिकांश भाग झारखंड में फैला हुआ है, शेष भाग का विस्तार ओडिशा, बिहार और छत्तीसगढ़ में है। इसका कुल क्षेत्रफल 65,000 वर्ग किमी है। राँची का पठार इसी का भाग है, जो वनाच्छादित है।
छोटानागपुर का पठार कई धातु अयस्क कोयले का भंडार है।

4. भारतीय तट एवं द्वीप : 

पूर्वी तटीय का विस्तार पूर्वी घाट से बंगाल की खाई यह दक्षिण में तमिलनाडु से लेकर उस पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है। ये तटीय मैदान महानदी, गोदावरी, काले और कृष्णा नदियों के जलोढ़ एवं डेल्टार निर्मित हैं। इस क्षेत्र में उत्तर-पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी मानसून दोनों से वर्षा होती है। इस क्षेत्र में वार्षिक वर्षा 1000 मिमी से 3000 मिमी तक होती है। इस मैदान की चौड़ाई 100 से 130 किमी है। कोरोमंडल तट इसी मैदानी क्षेत्र में स्थित है।

 पश्चिमी तटीय मैदान एक संकरा मैदानी भूभाग है, जो पश्चिमी घाट से अरब सागर तक फैला हुआ है। इसकी चौड़ाई 50 से 100 किमी है। इसका विस्तार उत्तर में गुजरात के तट से दक्षिण में केरल के तट तक है। इस क्षेत्र में बहने वाली अधिकांश नदियां एश्चुअरी का निर्माण करती हैं। ताप्ती, नर्मदा एवं मंडोवी आदि इस क्षेत्र की मुख्य नदियां हैं। कोंकण और मालाबार तट इसी क्षेत्र में स्थित हैं।

लक्षद्वीप एवं अंडमान-निकोबार भारत के दो प्रमुख द्वीप समूह हैं। लक्षद्वीप केरल तट से लगभग 300 किमी दूर अरब सागर में स्थित है। इसका क्षेत्रफल 32 वर्ग किमी. है। यह मुख्य रूप से प्रवाल भितियों द्वारा निर्मित है। यह 36 द्वीपों का समूह है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एक-दूसर से 10° चैनल द्वारा अलग किए जाते है। मुख्य स्थल से इनकी निकटतम दूरी लगभग 920 किमी. है।

इसके सुदूर दक्षिणी भाग को इंदिरा प्वाइट कहते हैं।

• अन्य महत्वपूर्ण द्वीप हैं-

दीव (पूर्व में पुर्तगाल का उपनिवेश), माजुली (एशिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप), एलीफेंटा (मुम्बई तट पर भारत के स्थित), श्रीहरिकोटा (आंध्र तट पर स्थित), साल्सेट द्वीप (जिसपर मुम्बई बसा है)

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