मिट्टी अपरदन की समस्या
प्रमुख कारण
वनो का विनाश, अत्यधिक पशुचारण एवं अविवेकपूर्ण कृषि है। पश्चिमी मरुस्थलीय जिलों में मिटटी अपरदन का मुख्य कारण वायु है। राज्य में सर्वाधिक क्षेत्रफल वायु अपरदन के अन्तर्गत आता है। मिटटी का अपरदन मुख्यत चार प्रकार से होता है
आवरण अपरदन (Sheet Erosion)-
जब तेज वर्षा के कारण निर्जन पहाड़ियों की मिट्टी जल के साथ घुलकर बह जाती है।
धरातली अपरदन (Surface Erosion)
पर्वतपदीय क्षेत्रों में जल के तेज बहाव से मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत का कटाव होना "धरातली अपरदन' कहलाता है।
नालीनुमा अपरदन (Gully Erosion)
सर्वाधिक हानिकारक अपरदन) इसमें नदियाँ, सहायक नदियाँ, लघु सरिताएँ एवं नाले मिट्टी को कई फुट की गहराई तक काटकर गहरे खड्डे (नालियाँ) बना देते हैं। इस प्रकार का अपरटन राज्य के कोटा, सवाई माधोपुर, करौली एवं धौलपुर जिलों में चम्बल नदी द्वारा किया गया है।
वात (वायु द्वारा) अपरदन (Wind Erosion)
इसमें मरुभूमि में तेजी से बहती प्रचण्ड पवनों द्वारा मिट्टी को उड़ाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। राज्य का पश्चिमी एवं उत्तरी भाग इस प्रकार के अपरदन से प्रभावित है।
soil erosion problem
main reason
There is destruction of forests, excessive pastoralism and indiscriminate agriculture. Wind is the main cause of soil erosion in the western desert districts. The maximum area in the state comes under wind erosion.
Soil erosion occurs mainly in four types
Sheet Erosion-
When the soil of uninhabited hills gets washed away with water due to heavy rains.
Surface Erosion
Erosion of top fertile layer of soil due to strong flow of water in mountainous regions This is called "surface erosion".
Gully Erosion
Most harmful erosion) In this, rivers, tributaries, small streams and drains cut the soil to a depth of several feet, making deep pits (drains). This type of erosion has been done by Chambal river in Kota, Sawai Madhopur, Karauli and Dholpur districts of the state.
Wind Erosion
In this, the soil is carried from one place to another by the strong winds blowing rapidly in the desert. The western and northern parts of the state are affected by this type of erosion.