रेतीली बलुई (बालू) मिट्टी
यह मिट्टी मुख्यत: बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, चूरू, जोधपुर जिलो, जालौर, पाली एवं नागौर जिलों के पश्चिमी भागों एवं श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिलों के मध्यवर्ती भागों को छोड़कर सम्पूर्ण क्षेत्र में मिलती है।
इस मिट्टी के तीन प्रमुख प्रकार हैं-
(A) लाल रेतीली मिट्टी-
नागौर, जोधपुर, जालोर, पाली, सीकर एवं झुंझुनूं जिलों के कुछ भागों में मिलती है।
(B) पीली-भूरी रेतीली मिट्टी-
नागौर एवं पाली जिलों के कुछ भागों में मिलती है। इसे 'सीरोजम मिट्टी' भी कहते हैं।
(C) खारी या नमकीन मिट्टी-
राज्य के जैसलमेर, बाड़मेर, नागौर, बीकानेर एवं जोधपुर जिलों की निम्न भूमियों में मिलती है
- कच्छ के रन का भाग, जो जालौर व बाड़मेर में फैला है, जहाँ की मिट्टी लवणीय है इस क्षेत्र को सांचौर (जालोर) में नेहड़' कहते हैं।
- मोटे कण, नमी धारण करने की निम्न क्षमता, नाइट्रोजन की कमी तथा कैल्सियम लवणों की अधिकता रेतीली मिट्टी की प्रमुख विशेषताएँ है। यह मिट्टी पवन अपरदन के प्रति संवेदनशील है। इसमें जीवांश की मात्रा कम होती है।
english translet
sandy loam soil
This soil is mainly found in the entire area except the western parts of Barmer, Jaisalmer, Bikaner, Churu, Jodhpur districts, Jalore, Pali and Nagaur districts and the intermediate parts of Sri Ganganagar-Hanumangarh districts.
There are three main types of this soil-
(A) Red sandy soil-
It is found in parts of Nagaur, Jodhpur, Jalore, Pali, Sikar and Jhunjhunu districts.
(B) Yellowish-brown sandy soil
Found in some parts of Nagaur and Pali districts. It is also called 'serogam soil'.
(C) Saline or salty soil-
Found in the following lands of Jaisalmer, Barmer, Nagaur, Bikaner and Jodhpur districts of the state
The part of the Rann of Kutch, which is spread in Jalore and Barmer, where the soil is saline, this area is called 'Nehad' in Sanchore (Jalore).
Coarse particles, low moisture holding capacity, lack of nitrogen and excess of calcium salts are the main characteristics of sandy soil. This soil is sensitive to wind erosion. It contains less amount of bacteria.