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Ajmer district

क्षेत्रफल :- 8,481 वर्ग किमी
प्राचीन नाम :- अजमेर - मेरवाड़ा 
भौगोलिक नाम :- राजस्थान का ह्रदय , भारत का मक्का , विभिन्न संस्कृत्यो की भूमि , राजस्थान  जिब्रालटर 
स्थलाकृति-
अजमेर अरावली पर्वतों की उपत्यका में स्थित है। यहाँ नाग पहाड़ प्रसिद्ध है जिससे लूनी नदी का उद्गम हआ है। पूर्वी भाग बनास द्वारा बनाये गये मैदानी भाग से बना है। यहाँ की तारागढ़ की चोटी सबसे ऊँची चोटी है जो 870 मीटर ऊँची है।
 नदियाँ-
लूनी (लूनी नदी का उद्गम अजमेर के निकट नाग पहाड़ी से हुआ है। यह नदी दक्षिण-पश्चिम में बहते हुए कच्छ के रण में विलीन हो जाती है। इसे आधी मीठी और आधी खारी नदी भी कहते हैं), बनास, खारी, रूपमती, सागरमती।
 जलाशय/झीलें-पुष्कर, आनासागर, फाई सागर, फूलसागर, नारायण सागर, कालिंजर, मकरेडा। जलवायु-यहाँ की जलवायु स्वास्थ्यवर्द्धक है। सामान्य वार्षिक वर्षा 48.5 सेमी होती है। न्यूनतम तापमान 3° तथा अधिकतम 45° सेंटीग्रेड रहता है।
 मिट्टी-
पश्चिमी भाग में भूरी रेतीली मिट्टी तथा पूर्वी भाग में काँप मिट्टी मिलती है।
 वनस्पति-
अजमेर जिले में 611.71 वर्ग किमी. क्षेत्र वन पाये जाते हैं जो जिले के भौगोलिक क्षेत्र का केवल 7.21 प्रतिशत है। यहाँ धोंक, धावड़ा, सालर, गुरजन आदि के वृक्ष मिलते हैं। 
वन्य जीव-
रावली टाटगढ़ अभयारण्य (1983) वर्ष 2011 में राज्य सरकार ने कुम्भलगढ़-रावली टॉडगढ़ अभयारण्य को राष्ट्रीय उद्यान बनाने की घोषणा की है। इसका नाम अरावली राष्ट्रीय उद्यान रखा जायेगा।
मृगवन-  पुष्कर मृगवन (1985)
 शिकार निषिद्ध क्षेत्र-
साँखलिया (गोडावन के लिये प्रसिद्ध), गंगवाना, सिलोरा।
 पशुपालन और डेयरी ;- 
  • गाय की गीर नस्ल के लिये प्रसिद्ध है। इसे अजमेरी या रैण्डा भी कहते हैं।
  • पुष्कर पशु मेला गीर नस्ल के लिये प्रसिद्ध है और यह राज्य का सबसे बड़ा पशु मेला है।
  • यह मेला कार्तिक मास में भरता है।
  • रामसर में बकरी प्रजनन एवं चारा अनुसंधान केन्द्र स्थित है। यहाँ गीर गाय व मुर्रा नस्ल की भैंस प्रजनन का केन्द्र भी है।
  • अजमेर में राजकीय मुर्गी पालन प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित है।
  • अजमेर में डेयरी संयंत्र और ब्यावर तथा विजयनगर में अवशीतन केन्द्र स्थित है।
  • ब्यावर के समीप नरबड़ खेड़ा में रीको द्वारा वूलन कॉम्पलैक्स की स्थापना प्रस्तावित।
 पेयजल परियोजनाएँ/बाँध-  बीसलपुर बाँध (टोंक) से अजमेर को पेयजल आपूर्ति की जाती है।
कृषि/फसलें-
ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन अजमेर में होता है। अजमेर में पान की खेती भी होती है। 
खनिज-
ऐस्बेस्टास, बेरिल, पन्ना, फेल्सपार, तामड़ा (सरवाड़ा), अभ्रक, वर्मीक्यूलाइट, कैल्साइट, कायनाइट, लाइमस्टोन (ब्यावर), सोपस्टोन, यूरेनियम (किशनगढ़) मैग्नेसाइट, संगमरमर (किशनगढ़) आदि। अजमेर में फेल्सपार का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इसके उत्पादन के लिए मकरेरा स्थान विख्यात है। 
अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA)- 14 अगस्त, 2013 राज्य के तीसरे नगर विकास प्राधिकरण अजमेर की स्थापना की गई।

 ऊर्जा 
  •  देश की पहली व विश्व की सबसे बड़ी गैस पाइप लाइन 'जामनगर-लोनी गैस पाइप' के लिए बूस्टर नसीराबाद के निकट गोदरी गाँव में लगाया गया है। 
  • अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड-राज्य के 10 जिलों यथा-झुंझुनूं, सीकर, नागौर, अजमेर, भीलवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर एवं बाँसवाड़ा में विद्युत वितरण का कार्य करती है।
  • जेठाना-  यहाँ एशियाई विकास बैंक की सहायता से 600 मेगावाट का पॉवर ग्रिड स्टेशन स्थापित किया गया है।
उद्योग

  1. हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (केन्द्र सरकार का उपक्रम) :- इसकी स्थापना चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से 1967 में चाचियावास में की गई है। यह देश की छठी इकाई है।
  2. सूती वस्त्र उद्योग (ब्यावर)-  द कृष्णा मिल्स लि. (1889), एडवर्ड मिल्स लि. (1906), श्री महालक्ष्मी मिल्स लि. (1925)।
  3. संगमरमर उद्योग (किशनगढ़)।
  4. औद्योगिक बस्तियाँ-  एचएमटी औद्योगिक क्षेत्र, पर्वतपुरा-माखुपुरा औद्योगिक क्षेत्र। श्रीसीमेंट (ज्यावर), राजश्री सीमेन्ट (ब्यावर)।
 हस्तशिल्प-  बणी-ठणी पेंटिंग (किशनगढ़), काष्ठ शिल्प (तिलोनिया), संगमरमर का सामान (किशनगढ़)। 
परिवहन-
राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 8, 14, 79, 79A और 89 अजमेर जिले से होकर गुजरते हैं। 132 किमी. दूर स्थित जयपुर निकटम हवाई अड्डा है। दिल्ली अहमदाबाद रेलवे राजमार्ग अजमेर जिले से होकर गुजरते है।

 दर्शनीय स्थल

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह :- 
ख्वाजा साहब अथवा ख्वाजा शरीफ अजमेर आने वाले सभी धर्मावलम्बियों केलिए एक पवित्र स्थल है। इसे मुस्लिम धर्मावलम्बियों के प्रमुख तीर्थ मक्का के बाद दूसरा प्रमुख तीर्थ माना जाता है, इसीलिए इसे भारत का मक्का कहा जाता है। दरगाह के निर्माण का प्रारम्भ सुल्तान इल्तुतमिश (1211-36 ई.) के शासनकाल में प्रारम्भ हुआ। ख्वाजा साहब की पुण्य तिथि पर प्रतिवर्ष पहली रज्जब से छठी रज्जब तक यहाँ उर्स का आयोजन किया जाता है।

 
तारागढ़ दुर्ग-

taragarh fort ajmer

  • डॉ. दशरथ शर्मा के अनुसार 12वीं शताब्दी के आरम्भ में अजयराज चौहान ने इस दुर्ग का निर्माण करवाया, जो अजयमेरू दुर्ग अथवा गढ़ बीठली के नाम से जाना जाता था। कालान्तर में रायमल सिसोदिया के पुत्र पृथ्वीराज ने अपनी पत्नी तारादेवी के नाम पर इस दर्ग का नाम तारागढ़ कर दिया। यह दुर्ग अढाई दिन के झोंपडे के पीछे स्थित पहाड़ी पर 700 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। इसे 'राजस्थान का जिब्राल्टर' भी कहा जाता है।
  • इसका विस्तार दो मील के घेरे में है। 17वीं शताब्दी में शाहजहाँ के एक सेनापति गौड़ राजपूत बीठलदास द्वारा इस किले की मरम्मत कराई गई थी। किले के अन्दर पानी के पाँच कण्ड तथा बाहर की ओर झालरा है। गढ में सबसे ऊँचे स्थान पर निर्मित मीर साहब की दरगाह दर्शनीय है। यह दरगाह तारागढ़ के प्रथम गवर्नर मीर सैय्यद हुसैन खिंगसवार की है।
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा-
adhai din ka jhopda ajmer

हिन्दू-मुस्लिम शैली की यह इमारत तारागढ़ की तलहटी में दरगाह से कुछ ही दूरी पर स्थित है। प्रारम्भ में यह इमारत एक संस्कृत विद्यालय (1153 ई.) थी, जिसका निर्माण अजमेर के चौहानवंशी शासक विग्रहराज चतुर्थ ने करवाया। कालान्तर में इसे ध्वस्त करवाकर कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक मस्जिद के रूप में परिवर्तित कर दिया। इसका निर्माण अढ़ाई दिन में हुआ। यहाँ मुस्लिम फकीर पंजाबशाह का अढ़ाई दिन का उर्स भरता है, इसलिए इसे अढ़ाई दिन के झोंपड़े के नाम से जाना जाता है। कर्नल जेम्स टॉड ने हिन्दू वास्तुकला का श्रेष्ठतम नमूना कहा है।

अकबर का किला-
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मुगल सम्राट अकबर ने 1570 ई. में इस किले का निर्माण करवाया। इसी किले में हल्दीघाटी के युद्ध को अन्तिम रूप दिया गया था एवं इसी किले में 1615 ई. में टॉमस रॉ ने जहाँगीर से भेंट की थी। 1818 ई. में अंग्रेजों ने इस किले पर अधिकार स्थापित कर इसे शस्त्रागार बनाया, इसी कारण इसे मेग्जीन के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 4 बड़े बुर्ज हैं जिनकी जोड़ने वाली दीवारों में कमरे हैं। इसका सबसे सुन्दर भाग 84 फुट ऊँचा तथा 43 फुट चौड़ा दरवाजा है। वर्तमान में इसमें ब्रिटिशकालीन राजपूताना संग्रहालय है जिसकी स्थापना 19 अक्टूबर, 1908 को की गई थी। इसका उद्घाटन तत्कालीन पॉलिटिक्ल एजेंट काल्विन ने किया था।

 आनासागर-
पृथ्वीराज तृतीय के पितामह अर्णोराज (आनाजी) ने 12वीं शताब्दी में इस कृत्रिम झील का निर्माण करवाया। जहाँगीर ने इसके किनारे एक बाग बनवाया जो दौलत बाग (सुभाष उद्यान) के नाम से जाना जाता है एवं शाहजहाँ ने 1637 ई.में इसकी पाल पर पाँच बारहदरियाँ बनवाई 

 फॉयसागर-
शहर से सात किमी.दूर इस झील का निर्माण अकाल राहत कार्यों के दौरान 1891-92 में अजमेर नगर परिषद् के द्वारा करवाया गया। इसका निर्माण कार्य अधिशाषी अभियंता फॉय के निर्देशन में हुआ।

मेयो कॉलेज-
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इस कॉलेज की स्थापना राज राजकुमारों को उच्च शिक्षा देने हेतु वायसराय कार्यकाल में की गई। इसकी स्थापना 1875 में की गई।

सीजीकी नसिया-
यह जैन तीर्थंकर ऋषभदेव का मंदिर जिसका निर्माण मूलचन्द सोनी एवं टीकमचन्द सोनी के द्वारा 1865 ई. के आसपास करवाया गया। 

जबली क्लॉक टावर-
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अजमेर रेलवे स्टेशन के सामने स्थित इस इमारत का निर्माण महारानी विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में 1988 में करवाया गया। 

अब्दल्ला खाँ का मकबरा-
इसका निर्माण 1710 ई. में फर्रुखसियर के समय हुसैन अली खाँ के पिता अब्दुल्ला खाँ की स्मृति में करवाया गया। यह अजमेर रेलवे स्टेशन के निकट स्थित है। 

तीर्थराज पुष्कर-

हिन्दू धर्म की मान्यतानुसार चारों धामों की तीर्थयात्रा तब तक अधूरी है, जब तक तीर्थराज पुष्कर में स्नान न कर लिया जाए। यहाँ करीब चार सौ से भी अधिक मंदिर हैं, इसलिए इसे देवताओं की नगरी' भी कहा जाता है। यह तीर्थ समुद्रतल से 530 मीटर की ऊँचाई पर, अजमेर से 11 किमी. दूर स्थित है। विश्वामित्र ने यहीं तपस्या की और भगवान राम ने मध्य पुष्कर के निकट गया कुण्ड पर अपने पिता दशरथ का पिण्ड तर्पण किया था।

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 पाण्डवों ने अपने निर्वासित काल का कुछ समय पुष्कर में भी बिताया था। यहाँ प्रतिवर्ष दो विशाल मेलों का आयोजन किया जाता है। पहला मेला कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक तथा दूसरा मेला बैसाख शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक भरता है। यहाँ पशु मेले का आयोजन किया जाता है। यह स्थल विदेशी सैलानियों का मुख्य केन्द्र है।

पुष्कर सरोवर-
  • अजमेर के नाग पर्वत एवं पुष्कर शहर के मध्य अर्द्धचन्द्राकार में पुष्कर सरोवर फैला हुआ है। इस सरोवर पर 52 घाट बने हुए हैं, जिनमें वराहघाट, ब्रह्मघाट और गौ घाट सर्वाधिक पवित्र माने गये हैं। 1809 ई. में मराठा सरदारों ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। इसी स्थान पर गुरु गोविन्द सिंह ने 1705 ई. में गुरुग्रन्थ साहब पाठ किया था। 1911 ई. में ब्रिटिश महारानी मेरी जब भारत आई तो उसने इस सरोवर के किनारे महिलाओं के लिए पृथक् से घाट का निर्माण करवाया।
  •  इसी स्थान पर महात्मा गाँधी की अस्थियाँ प्रवाहित की गई, तब से इसे  गाँधी घाट कहा जाने लगा। यहाँ के अन्य घाटों में इन्द्रघाट, महादेव घाट, विश्राम घाट, बद्रीघाट, गणगौर घाट, रामघाट, चीर घाट, जनक घाट, यज्ञ घाट, ब्राह्मण घाट, परशुराम घाट तथा सप्तऋषि घाट प्रमुख हैं।
ब्रह्माजी का मंदिर-
भारत में ब्रह्मा जी का एकमात्र महत्त्वपूर्ण मंदिर पुष्कर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ ब्रह्मा जी की प्रतिमा को शंकराचार्य ने स्थापित किया था। मंदिर के भीतर चतुर्मुखी ब्रह्माजी की मूर्ति हैं तथा निकट ही उनकी द्वितीय पत्नी गायत्री की भी सुन्दर प्रतिमा विद्यमान है। ब्रह्मा मंदिर परिसर में ही पातालेश्वर महादेव, पंचमुखी महादेव, नर्बदेश्वर महादेव, लक्ष्मीनारायण, गौरीशंकर, सूर्यनारायण, नारद्, दत्तात्रेय, सप्तऋषि एवं नवग्रह के छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं।

 सावित्री मंदिर-
ब्रह्मा मंदिर के पृष्ठ भाग में रत्नागिरी पर्वत पर ब्रह्म जी की प्रथम पत्नी सावित्री का मंदिर है। इस मंदिर में जहाँ पार्वती के दो चरण चिह्न प्रतिष्ठित हैं, वहीं मंदिर में उनकी पुत्री सरस्वती जी की प्रतिमा भी सुशोभित है। . 

रंगनाथ जी का मंदिर-
यह मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय की रामानुज शाखा का है। यह मंदिर भगवान विष्णु, लक्ष्मी तथा नृसिंह की मूर्तियों से सुशोभित है। इस मंदिर में श्यामवर्ण रंगनाथ जी की प्रतिमा स्थापित है।

वराह मंदिर-
इस मंदिर का निर्माण अर्णोराज के द्वारा किया गया। मेवाड़ नरेश मोकल ने इसी मंदिर में सोने का तुलादान भी करवाया था। इस मंदिर का जीर्णोद्धार महाराणा प्रताप के भाई सागर ने करवाया। मुगल सम्राट औरंगजेब के समय इसे ध्वस्त कर दिया गया तो इसका पुनः निर्माण सवाई जयसिंह के द्वारा करवाया गया।

रमा बैकुण्ठ मंदिर-
यह मंदिर पुष्कर का सबसे विशाल मंदिर है। यह मंदिर रामानुजाचार्य शाखा का प्रधान मंदिर है। पत्थर से बने विमान पर 361 देवी-देवताओं की मूर्तियाँ विराजमान हैं। मंदिर के प्रथम भाग में स्वर्ण गरुड़ की प्रतिमा है। इस मंदिर का निर्माण डीडवाना (नागौर) के श्रेष्ठि मगनीराम बांगड़ के द्वारा करवाया गया। 

मान महल-
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यह महल पुष्कर सरोवर के किनारे स्थित है, जिसका निर्माण आमेर नरेश मानसिंह (प्रथम) के द्वारा करवाया गया था। वर्तमान में इसे राजस्थान पर्यटन विकास निगम के होटल सरोवर में परिवर्तित कर दिया गया है।

 पुष्कर मेला-
यह मेला कार्तिक शुक्ला एकादशी से पूर्णिमा तक आयोजित किया जाता है।

खुण्डियास धाम-
अजमेर-नागौर सीमा पर स्थित द्वितीय रामदेवरा के नाम से प्रसिद्ध बाबा रामदेव का स्थल। इसे मिनी रामदेवरा भी कहते हैं।

 अन्य स्मरणीय तथ्य

  1. 28 मई, 2013 को अजमेर को देश का पहला स्लम फ्री (झुग्गी-झोपड़ी मुक्त) शहर घोषित किया गया है। 
  2. तिलोनिया में प्रसिद्ध समाजसेवी दम्पत्ति अरुणाराय एवं बंकर राय ने ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने एवं सामाजिक स्तर सुधारने में उल्लेखनीय योगदान के लिए बेयरफुट कॉलेज की स्थापना की है। इस कॉलेज को उल्लेखनीय योगदान के लिए दस लाख डॉलर का एलकान पुरस्कार दिया गया है। यह स्मरण रहे कि अरुणाराय को सूचना के अधिकार के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। अजमेर जिले का यह गाँव पेचवर्क के लिए चर्चित है। पेचवर्क में विविध रंग के कपड़ों को विविध डिजाइनों में काटकर कपड़े पर सिलाई की जाती है। 
  3. अजमेर शहर के निकट स्थित छोटा सा रेलवे स्टेशन दौराई उत्तर-पश्चिम रेलवे का प्रसिद्ध सूखा बन्दरगाह बन गया है।
  4.  ' कानपुरा के ग्रामीणों से अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने भारत प्रवास (6-9 नवम्बर,2010) के दौरान मुम्बई से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की, जो सेंट-जेवियर कॉलेज, मुम्बई से की थी। यहाँ ई-गर्वनेंस योजना मूर्त रूप में विद्यमान है। कानपुरा अजमेर में पीसांगन पंचायत समिति के निकट है।
  5. किशनगढ़ के गूंदोलाव तालाब के निकट स्थित केहरीगढ़ किले को अब हैरिटेज होटल बनाया गया है। इस किले के आन्तरिक भाग को जीवरक्खा कहते हैं। 
  6. एम.डी.एस. यूनिवर्सिटी, अजमेर में 'नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम' प्रस्तावित। 
  7. अजमेर ई जिला घोषित-केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने अजमेर जिले को ई-जिला घोषित किया। इस जिले के लिए केन्द्र सरकार राज्य सरकार को 6.42 करोड़ रुपए उपलब्ध कराएगी। केन्द्र सरकार की ई जिला परियोजना का उद्देश्य स्थानीय प्रशासन को सहयोग करना है।
  8.  किशनगढ़ में केन्द्रीय विश्वविद्यालय-अजमेर जिले में किशनगढ़ के पास बांदरसिंदरी में केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थित है। 
  9. मेयो कॉलेज (1875) 
  10. महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय-1987 
  11. अजमेर में अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय खोला जाना प्रस्तावित है।