रामदेव जी
जन्म :- उंडूकासमेर (बाड़मेर)
समाधि :- रामदेवरा(जैसलमेर)
उपनाम :- रामसापीर, रूणेचा रा धणी
रामसापीर / रामदेव जी |
विशेष तथ्य :-
- रामदेव जी का जन्म वि.संवत् 1462 की भादवा सुदी द्धितिया को उंडूकासमेर नामक गाँव मे हुआ
- इनके पिता का नाम अजमलजी व माता का नाम मैणादे तथा पत्नी का नाम नेतलदे और इनके गुरू का नाम बालीनाथजी था
- रामदेव जी को हिंदु ’कृष्ण का अवतार’ मानते है और मुस्लिम इन्हे ’रामसापीर’ कहते है
- इनके मेघवाल भक्त रिखिया कहलाते है डालीबाई मेघवाल की धर्मपत्नी थी।
- वे एकमात्र लोकदेवता है जो कवि भी थे इन्होने चौबीस वाणियाँ नामक ग्रंथ लिखा और कांमड पंथ की स्थापना की
- रामदेव जी के पगल्यो(पदचिन्हों) की पुजा होती है इनके मंदिरो की पंचरंगी ध्वजा को नेजा कहते है
- रामदेवरा(रूणेचा) गाँव मे इनकी समाधि पर प्रतिवर्ष भाद्रपद द्धितिया से एकादशी तक विशाल मेला भरता है जो राजस्थान मे साम्प्रादायिक सद्भाव का प्रतीक है।
- रामदेवजी के घोड़े का नाम लीला था
Ramdev ji
Born :- Undukasmer (Barmer)
Samadhi:- Ramdevra (Jaisalmer)
Nickname :- Ramsapir, Runecha Ra Dhani
Special facts :-
- Ramdev ji was born in the village of Undukasmer on Bhadwa Sudi Dhitiya of V.Samvat 1462.
- His father's name was Ajmalji and mother's name was Mainade and wife's name was Netalde and his guru's name was Balinathji.
- Hindus consider Ramdev as 'incarnation of Krishna' and Muslims call him 'Ramsapir'.
- His Meghwal devotees are called Rikhiya, Dalibai was the wife of Meghwal.
- He is the only Lokdevta who was also a poet, he wrote a book called Twenty Four Vaniyas and founded the Kamad Panth.
- Pagalyo (footprints) of Ramdev ji is worshipped. The Panchrangi flag of his temples is called Neja.
- Every year a huge fair is organized on his Samadhi in Ramdevra (Runecha) village from Bhadrapada Dhitiya to Ekadashi, which is a symbol of communal harmony in Rajasthan.