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पाली जिला

 पाली जिला 

क्षेत्रफल :- 12,387 वर्ग किमी 
प्राचीन नाम ;- पारानगर और पेपावती 
भौगोलिक नाम :- स्तम्भों का नगर (रणकपुर )

दर्शनीय स्थल :-

सोमनाथ मंदिर :- 

पाली नगर के मध्य में स्थित सोमनाथ मंदिर अपनी शिल्प कला के लिए विख्यात है, जिसका निर्माण गुजरात के राजा कुमारपाल सोलंकी ने विक्रम संवत् 1209 में करवाया

 निम्बो का नाथ :-

फालना व सांडेराव मार्ग पर पहाड़ी की तलहटी में स्थित यह एक महादेव का मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि पाण्डवों की माता कुन्ती इसी स्थान पर शिव की पूजा करती थी। 

जवाई बाँध :- 

यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बाँध है, इससे जालौर व पाली को पेयजल सुविधा व सिंचाई सुविधा प्राप्त होती है। 

जूनाखेड़ा :- 

नाडोल कस्बे के निकट यह एक पुरातात्विक महत्त्व का स्थल है, जो चौहान वंश की प्राचीन राजधानी रहा। इसे पुरातत्व की दृष्टि से संरक्षित स्थान घोषित किया गया है। इसी स्थान पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर सोलंकियों से युद्ध करते हुए शहीद हुए। यहाँ स्थित बावड़ियाँ जल प्रबन्ध को दर्शाती हैं।

 रणकपुर :-
रणकपुर पाली , 1444 खंबो का मन्दिर

यह जैन मंदिरों के लिए विख्यात है, जिनका निर्माण महाराणा कुम्भा के शासनकाल में उनके मंत्री धरणक शाह ने करवाया। इसका शिल्पी देपा था। इनमें 1444 स्तम्भ हैं, जिनकी बनावट एक दूसरे से भिन्न है। यहाँ प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की चतुर्मुखी प्रतिमा स्थापित है।

 जैतारण :-

यह प्रसिद्ध जैन तीर्थ है। प्रति वर्ष पौष सुदी चतुर्थी को यहाँ जैन संत मरुधर केसरी की पुण्यतिथि पर मेले का आयोजन किया जाता है। यहाँ मरुधर केसरी का समाधि स्थल एवं विशाल कीर्ति स्तम्भ है।

 नवलखा तीर्थ :-

पाली में स्थित स्वामी पार्श्वनाथ नवलखा मंदिर, जो दुर्गनुमा है, दर्शनीय है।

  संग्रहालय :-

पाली स्थित श्री बांगड़ आर्कियो लोजिकल एवं साइन्टीफिक म्यूजियम दर्शनीय है। यहाँ दुर्लभ मूर्तियाँ, तोरणद्वार, प्राचीन सिक्के, पोशाक, हथियार आदि रखे गए हैं। 

गोरिया गणगौर का मेला :-

आदिवासियों का गणगौर मेला बाली तहसील के गोरिया गाँव में प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ला सप्तमी को भरता है। यह आदिवासियों में लोकप्रिय है। इसमें आदिवासी लड़कियों को वर चुनने की प्रथा भी है 

सिरियारी :-

पाली जिले के इस छोटे से गाँव में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ के आचार्य श्रीभिक्षु का निर्माण आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व हुआ था। आज यह तीर्थस्थल के रूप में की पहचान बना चुका है।

घानेराव :-

जैन एवं हिन्दू मंदिरों के लिए प्रसिद्ध।

चामुण्डा तीर्थ-

निमाज के निकट चामुण्डा माता का मंदिर दर्शनीय है। ऐसा माना जाता है कि राजा भोज ने बाँध इसे बनवाया  था।

 बिराटिया :-

यहाँ बाबा रामदेव का विशाल मंदिर स्थित है। यहाँ भाद्रपद एकादशी को मेले का आयोजन होता है।

खेतलाजी का मेला :-

सोनाना गाँव में प्रति वर्ष मई-जून धानी में खेतलाजी का मेला लगता है। खेतलाजी की पूजा कया देवता के रूप में की जाती है।

परशुराम गुफा :-

सादड़ी से 14 किमी. पूर्व में यह गुफा है। यहाँ मान्यता है कि इस स्थल पर ऋषि परशुराम ने तपस्या की थी। यहाँ स्थित 'भीमगोड़ा' पाण्डवों की याद दिलाता है। 

 अन्य स्मरणीय तथ्य 

  • पाली पल्लीवाल ब्राह्मणों से जुड़ा हुआ होने के कारण पाली कहलाया। यह नगर बांडी नदी के बाएँ मुहाने पर बसा नगर है। रंगाई-छपाई उद्योग व सिक्कों की टकसाल के कारण इसे वाणिज्य नगरी का दर्जा प्राप्त हुआ।
  • पाली जिले में पैंथर (बघेरों) के संरक्षण के लिए वन विभाग ने प्रोजेक्ट पैंथर शुरू किया है। पाली जिले के कुम्भलगढ़ अभयारण्य के बाहरी हिस्से में 11 क्षेत्र ऐसे है  जहाँ पैंथर बहुतायत में हैं।
  •  सुमेरपुर (पाली) में तुर्को सरकार के द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश हुकूमत के युद्धवन्दियों (तुकों-जर्मन सैनिकों) की स्मृति में शहीद स्मारक का निर्माण करवाया जाएगा।

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