अलवर जिला
क्षेत्रफल :- 8380 वर्ग किमी.
प्राचीन नाम :- शाल्व प्रदेश या मेवात क्षेत्र
भौगोलिक उपनाम :- पूर्वी राजस्थान का कश्मीर और राजस्थान का सिंह द्धार
दर्शनीय स्थल :-
1 अलवर दुर्ग
अलवर का दुर्ग सम्भवतः 1049 ई में आमेर नरेश कोकिलदेव के पुत्र अलघुराय ने बनाया था। इस दुर्ग को बाला दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है। यह दुर्ग आमेर के शासकों एवं मुगलों के अधिकार में रहा। भरतपुर के शासक सूरजमल ने मुगलों के प्रभाव काल में अधिकार कर लिया। तत्पश्चात् अलवर राज्य के संस्थापक प्रतापसिंह ने 1775 ई. इस पर अधिकार कर लिया। मुगल सम्राट अकबर ने इसी दुर्ग में अपने पुत्र सलीम को नजरबन्द रखा था। शहजादा सलीम ने ही सलीम महल एवं सलीम सागर निर्मित करवाये। अलवर के दुर्ग में प्रवेश करने के लिए 6 द्वार हैं। इनमें जयपोल , सूरजपोल, लक्ष्मणपोल ,चाँदपोल किशनपोल और अंधेरी दरवाजा शामिल हैं। आज भी यहाँ जल महल, निकुम्भ महल, सलीम सागर, सूरज कुण्ड एवं कई मंदिरों के अवशेष विद्यमान हैं।
2 सिटी पैलेस
1776 ई में महाराजा विनयसिंह ने विनय विलास महल निर्मित करवायाए जो सिटी पैलेस के नाम से जाना जाता है। यह महल मुगल एवं राजपूत शैलियों के सम्मिश्रण से बना है।
3 मूसी महारानी की छतरी सिटी :-
पैलेस के पिछवाड़े सागर के दक्षिणी किनारे पर महाराजा विनयसिंह ने महाराजा बख्तावर सिंह की पासवान मूसी महारानी की स्मृति में इस छतरी का निर्माण 1815 ई में करवाया। यह छतरी 80 स्तम्भो पर टिकी है इस दो मंजिल इमारत की पहली मंजिल लाल पत्थरो और दूसरी मंजिल संगरमरमर की है।4 सिलीसेढ :-
महाराजा विनयसिंह ने एक टापु मे झील के मध्य 1844 ई. मे अपनी रानी शीला के लिए 6 मंजिल महल का निर्माण करवाया आज यह महल पर्यटन विकास निगम का एक होटल है जिसे सिलीसेढ लेक पैलेस के नाम से जाना जाता है
5 सरिस्का :-
यह अलवर जयपुर मार्ग पर अलवर से 35 किमी. दुर है यहाँ भारत सरकार द्धारा बाघ परियोजना संचालित की जा रही है सरिस्का अभ्यारण हरे कबुतरो के लिए प्रसिद्ध है यहाँ एक सुंदर राजभवन है जिसका निर्माण महाराजा जयसिंह ने ड्युक ऑफ एडिनब्रा की शिकार यात्रा के उपलक्ष्य मे करवाया था वर्तमान मे यह होटल सरिस्का के नाम से जाना जाता है।6 ताल वृक्ष :-
यह स्थल अलवर से 35 किमी. दुर अलवर नाराणयपुर मार्ग पर स्थित है यह स्थल पहाडो की गोद मे सघन वृक्षो से आच्छादित है ऐसी मान्यता है कि यहाँ ऋषि मांडल्य ने तप किया था इसी स्थान पर गंगा माता का प्राचीन मंदिर स्थित है।
7 कांकणबाडी किलाः-
राजगढ कस्बे मे स्थित है इसमे औरंगजेब ने अपने भाई दाराशिकोह को कैद करके रखा था
8 भर्तृहरि :-
उज्जैन के राजा और महान योगी भर्तृहरि ने अपने अंतिम दिनो मे अलवर को ही अपनी तपोभुमि बनाया था यह तपोभुमि अलवर मे अत्यंत देखने योग्य स्थान है यहाँ पर भर्तृहरि बाबा की समाधि बनी हुई है जहाँ पर अंखड. ज्योति जलती है वर्षा ऋतु मे भाद्रपद के शूक्ल पक्ष की सप्तमी और अष्टमी को यहाँ मेला लगता है यह स्थल कनफडे नाथ सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है
9 पाण्डपोल
यह स्थल अलवर से 60 किमी दुर सरिस्का घाटी में स्थित है। एक किंवदंती के अनुसार अज्ञातवास के समय पाण्डवों को जब कौरवों की सेना ने आ घेरा तो महाबली भीम ने अपनी गदा के प्रहार से पहाड़ में रास्ता बनाया उसी समय से इसे पाण्डुपोल के नाम से जाना जाता है
10 नीलकंठ महादेव
यह अलवर के दक्षिण.पश्चिम में 61 किमी दूर स्थित है। यह बड़गुर्जरों की राजधानी था। मंदिर के एक शिलालेख के अनुसार बड़गुर्जर राजा अजयपाल ने विक्रम संवत् 1010 के पूर्व नीलकंठ महादेव का मंदिर बनवाया था।
11 नारायणी माता
नाईयों की कुलदेवी नारायणी माता का मंदिर अलवर जिले की राजगढ़ तहसील में बलदेवगढ़ के निकट बरवा दूंगरी की तलहटी में स्थित है। यहाँ बैसाख सुदी एकादशी को मेला लगता है।
12 तिजारा
यहाँ सिकन्दर लोदी के भाई अलाउद्दीन लोदी ने विशाल गुम्बद बनवायाए जो वास्तु शैली के लिए प्रसिद्ध है।
13 ईटाराणा की कोठी
इस कोठी का निर्माण महाराजा जयसिंह ने करवाया था
14 होप सर्कस.
यह भव्य कैलाश बुर्ज अलवर शहर के मध्य में स्थित है। 1939.40 में लिनलिथगो अलवर आए तो उनके साथ उनकी पुत्री होप भी आई। होप के नाम पर ही इस बुर्ज का नाम होप सर्कस हो गया।
15 कुतुबखाना
महाराजा विजयसिंह के शासनकाल में 1837 में कुतुबखाना ;पुस्तकशालाद्ध की स्थापना की गई। कलापारखी विजयसिंह के समय अद्वितीय पुरासाहित्य का संग्रह हुआ था। उन्होंने अपने पुरासम्पदा के प्रचारप्रसार के लिए किला संग्रहालय की स्थापना की।
1922 में इस पुस्तकालय में 11,278 ग्रंथ तथा 2538 अतिविशिष्ट चित्रों का संग्रह था।
16 डीकर.
यहाँ आदिमानव के बनाए हुए शैलचित्र मिले हैं। इनका समय पाँच से सात हजार वर्ष पुराना आँका गया है।
17 नीमराणा
1464 ई में निर्मित पहाड़ी पर बना पाँच मंजिला नीमराणा किला पंचमहल के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में इस किले को एक शानदार होटल का रूप दे दिया गया है। नीमराणा दुर्ग के विहंगम दृश्य पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं। नीमराणा में प्रतिष्ठित कम्पनी निप्पोन समूह की निप्पोन पाइप इण्डिया प्राण्लिण् अपना प्रोजेक्ट लगाने जा रही है। सरकार ने नीमराणा के औद्योगिक विकास को देखते हुए हवाई अड्डा बनाने की योजना बनाई है। अलवर के नीमराणा के पास सिरेमिक हब विकसित किया जा रहा है
स्मरणीय तथ्य
फेयरी क्वीन एक्सप्रेस भाप के इंजन से चलने पर रेलगाड़ी दिल्ली से अलवर के बीच चलती है। यह स्वर पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है
Other District Rajasthan :-
Jhunjhunu District Jodhpur District Jalor District Barmer District
Pali District Jasilmer District Bhilwara District Karauli District
Alwar District
Area :- 8380 sq. km.
Ancient name :- Shalva region or Mewat region
Geographical surname: - Kashmir of eastern Rajasthan and Singh Dwar of Rajasthan
Scenic Spots :-
1 Alwar Fort
The fort of Alwar was probably built in 1049 AD by Alghurai, son of Amer king Kokildev. This fort is also known as Bala Durg. This fort remained under the control of the rulers of Amer and the Mughals. The ruler of Bharatpur, Surajmal, took possession during the period of Mughal influence. After that Pratap Singh, the founder of Alwar state, took possession of it in 1775 AD. The Mughal emperor Akbar kept his son Salim under house arrest in this fort. It was Prince Salim who got Salim Mahal and Salim Sagar built. There are 6 gates to enter the fort of Alwar. These include Jaipol, Surajpol, Laxmanpol, Chandpol, Kishanpol and Andheri Darwaza. Even today, the remains of Jal Mahal, Nikumbha Mahal, Salim Sagar, Suraj Kund and many temples exist here.
2 City Palace
In 1776 AD, Maharaja Vinay Singh built Vinay Vilas Mahal which is known as City Palace. This palace is made of a mixture of Mughal and Rajput styles.
3 Musi Maharani Ki Chhatri City :-
Maharaja Vinay Singh built this umbrella in 1815 AD in the memory of Paswan Musi Maharani of Maharaja Bakhtawar Singh, on the southern bank of the sea, behind the palace. This umbrella rests on 80 pillars, the first floor of this two-storey building is of red stones and the second floor is of marble.
4 Siliseh :-
Maharaja Vinay Singh built a 6-storey palace for his queen Sheela in 1844 AD in the middle of a lake in an island, today this palace is a hotel of Tourism Development Corporation, which is known as Silisedh Lake Palace.
5 Sariska :-
It is 35 km from Alwar on Alwar Jaipur road. It is far away that the tiger project is being run by the Government of India. Sariska Sanctuary is famous for green pigeons. There is a beautiful Raj Bhavan, which was built by Maharaja Jaisingh to commemorate the hunting trip of Duke of Edinbra. Is known.
6 Taal Tree :-
This place is 35 km from Alwar. Dur Alwar is located on the Narayanpur road, this place is covered with dense trees in the lap of the hills. It is believed that Rishi Mandalya did penance here, at this place the ancient temple of Ganga Mata is situated.
7 Kankanbadi Fort:-
It is located in Rajgarh town, where Aurangzeb had imprisoned his brother Darashikoh.
8 Bhartrihari :-
Bhartrihari, the king of Ujjain and the great yogi, had made Alwar his tapobhumi in his last days, this tapobhumi is a very visible place in Alwar, where the tomb of Bhartrihari Baba remains, where there is an unbroken. The flame burns in the rainy season on the seventh and Ashtami of the Shukla Paksha of Bhadrapada, a fair is held here. This place is the main pilgrimage site of Kanphade Nath sect.
9 pandapoles
This place is located in the Sariska Valley, 60 km from Alwar. According to a legend, when the Pandavas were surrounded by the Kaurava army at the time of their exile, Mahabali Bhima made a way in the mountain with the blow of his mace, since that time it is known as Pandupol.
10 Neelkanth
It is located 61 km south-west of Alwar. It was the capital of the Badgujars. According to an inscription of the temple, Badgurjar King Ajaypal had built the temple of Neelkanth Mahadev before Vikram Samvat 1010.
11 Narayani Mata
The temple of Narayani Mata, the Kuldevi of barbers, is situated at the foothills of Barwa Dungri near Baldevgarh in Rajgarh tehsil of Alwar district. A fair is held here on Baisakh Sudi Ekadashi.
12 Tijara
Alauddin Lodi, brother of Sikandar Lodi, built a huge dome here, which is famous for its architectural style.
13 Itarana ki Kothi
This kothi was built by Maharaja Jai Singh.
14 Hope Circus.
This magnificent Kailash Burj is situated in the heart of Alwar city. When Linlithgow came to Alwar in 1939.40, his daughter Hope also came with him. After the name of Hope, the name of this turret became Hope Circus.
15 Qutubkhana
Qutubkhana (Bookshop) was established in 1837 during the reign of Maharaja Vijay Singh. There was a collection of unique antiquities during the time of Kalaparkhi Vijay Singh. He established the fort museum for the promotion of his heritage.
In 1922, this library had a collection of 11,278 texts and 2538 super special paintings.
16 deker.
Rock paintings made by primitive man have been found here. Their time has been estimated to be five to seven thousand years old.
17 Neemrana mahadev
The five-storey Neemrana Fort built on a hill built in 1464 AD is also known as Panchmahal. Presently this fort has been given the form of a luxurious hotel. The panoramic view of Neemrana Fort is the center of attraction for tourists. Nippon Pipe India Pranlin of reputed company Nippon Group is going to set up its project in Neemrana. The government has planned to build an airport in view of the industrial development of Neemrana. Ceramic hub is being developed near Neemrana in Alwar
bhangarh fort |
memorable facts
Fairy Queen Express is a steam locomotive train that runs between Delhi and Alwar. This tone is a major center of attraction for tourists.
Other District Rajasthan :-
Jhunjhunu District Jodhpur District Jalor District Barmer District
Pali District Jasilmer District Bhilwara District Karauli District