झुझंनु जिला
प्राचीन नाम :- शेखावाटी का एक भाग,
भौगोलिक नाम :- शेखावाटी का सिरमौर
दर्शनीय स्थल :-
1 लोहार्गल
यह स्थल झुझंनु के दक्षिण में करीब 60 किमी दूर स्थित है। यह एक पहाड़ी इलाका है जहाँ लगभग 70 मंदिर मालकेत और बरखंडी शिखर पर सूर्यकुण्ड इत्यादि हैं। भाद्रपद माह में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से अमावस्या तक लोहार्गल के पहाड़ों को परिक्रमा करना शुभ माना जाता हैं।
2 नरहड़ दरगाह
झुंझनूं से 40 किमी जयपुर पिलानी सड़क मार्ग से कुछ दूर यह दरगाह स्थित है। नरहड़ के शक्कर पीर बाबा की ऐतिहासिक दरगाह में हिन्दू.मुस्लिम सभी लोग दर्शन के लिए आते हैं।
3 खेतड़ी
इसे ताम्र नगरी के नाम से जाना जाता है। यहाँ हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड का संयंत्र लगा है। तकनीकी शिक्षा के स्रोत में पिलानी ने सम्पूर्ण देश में अपनी पहचान बनाई है। यहाँ भारत सरकार का उपक्रम केन्द्रीय इलेक्ट्रोनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान स्थित है जो देश के विज्ञान व तकनीकी विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है।4 महनसर
जयपुर-चुरू रेलमार्ग पर स्थित महनसर कस्बा झुंझुनूं से 45 किमी दूर स्थित है। यहाँ पौद्दारों की सोने की दुकान मुख्य आकर्षण का केन्द्र है। इन दुकानों के भित्ति चित्रों में रामकृष्ण की लीलाओं से संबंधित चित्र मिलते हैं। यहाँ के भित्ति चित्रों में सोने की पॉलिश की गई हैए इस कारण इसे सोने की दुकान के नाम से जाना जाता है। महनसर में रघुनाथ जी का मंदिरए तोलाराम मसखरा का आकर्षक भित्ति चित्रों वाला महफिल खाना भी दर्शनीय स्थल है।
5 डूण्डलोद
यह झुंझुनूं से सीकर की ओर 35 किमी दूर स्थित है। यहाँ का किलाए गोयनका हवेली, गोयनका छतरी दर्शनीय स्थल है।
6 नवलगढ़
यह झुंझुनूं से 40 किमी दूर स्थित है। यहाँ का दुर्गए रूपनिवास पैलेसए आठ हवेली पौहार ,पटोदिया , भगत एवं चौखानी परिवार की हवेलियाँ विशेष दर्शनीय यहाँ की लकड़ी के दरवाजों की बारीक जालियाँ उत्कृष्ट कला का श्रेष्ठ नमूना हैं।
7 चिड़ावा
यह विशाल हवेलियों के कारण विख्यात है। यह नंदलालए डालमियाँए फूलचंद डालमियाँए ताराचंद डालमियाँ,मंगल चन्द डालमियाँ, दूलीचन्द डालमियाँ और नैमालियाँ की हवेलियों के लिए विख्यात है।
अन्य स्मरणीय तथ्य
- भोपा.भोपी के गायनए बाँसुरी एवं अलगोजों के स्वर तथा चिड़ावा का ख्याल झुंझुनूं जिले की लोक संस्कृति के प्रमुख आयाम हैं।
- बिड़लाए डालमियाँए सिंघानियाए पोद्दारए गोयनकाए कानोडियाए पीरामल आदि औद्योगिक घराने झुंझुनूं जिले की देन हैं।
- शेखावाटी क्षेत्र के जोहड़ सीढ़ीनुमा कुएँ प्रसिद्ध हैं।
- स्वामी विवेकानन्द शिकागो धर्म सम्मेलन में जाने से पूर्व खेतड़ी आए थे। खेतड़ी शासक अजीतसिंह ने ही स्वाम जी को विवेकानन्द नाम दिया था। इनका मूल नाम नरेन्द्र दत्त था।
- झुंझुनूं के पण्डित झाबरमल शर्मा को पत्रकारिता के भीष्म पितामह कहा जाता है।
- अलसीसर और मलसीसर अपनी हवेलियों एवं भित्ति चित्रो के लिए प्रसिद्ध है।
Other District Rajasthan :-
English translation
Jhujhunu District
Scenic Spots :-
1 lohargal
2 Narhad Dargah
3 Khetri
4 mahasar
5 dundloads
6 Nawalgarh
7 Chirwa
Other facts to remember
- The vocals of Bhopa-Bhopi, the voice of flute and algoos and the sound of Chirwa are the main dimensions of the folk culture of Jhunjhunu district.
- The industrial houses of Birla, Dalmian, Singhania, Poddar, Goenkay, Kanodiya, Piramal etc. are the product of Jhunjhunu district.
- Johad step wells of Shekhawati region are famous.
- Swami Vivekananda had come to Khetri before going to the Chicago Dharma Conference. Khetri ruler Ajit Singh had given the name Vivekananda to Swamiji. His original name was Narendra Dutt.
- Jhunjhunu's Pandit Jhabarmal Sharma is called Bhishma Pitamah of journalism.
- Alsisar and Malsisar are famous for their havelis and murals.